आदाब नए साल की ख़्वाहिश चलो रंज दिल के सभी हम मिटाएँ नए साल को खुशनुमा सा बनाएँ गए साल से सीख लेकर चलेंगे नए साल में ठोकरें हम न खाएँ बनें देश की हमc तरक्की के साधन इसे फिर से सोने की चिड़िया बनाएँ निवाले जुटाने हैं सबके लिए भी चलो कुछ तरीके नए सीख आएँ खुले आसमां के तले सो रहें जो उन्हें गर्दिशों से चलो हम बचाएँ हो बेख़ौफ औरत गली में, सड़क पे जो बेख़ौफ आएँ तो बेख़ौफ जाएँ हो बच्चों के हाथों में पुस्तक खिलौने बराबर से मौके सभी को दिलाएँ मिले यार बनके यूँ पीरी से बचपन बुज़ुर्गों के कोने को ऐसे सजाएँ कहीं खो न दे हम खुदी को जहाँ में कभी पास खुद को भी अपने बिठाएँ खुदा से दुआ 'आरज़ू ' बस यही है हमेशा वो इंसाँ को इंसाँ बनाएँ आरज़ू -ए-अर्जुन
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