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हमारे दिल से पूछोगे हमारा हाल कैसा है ( GHAZAL )

ग़ज़ल 
मात्रा : 1222 1222 1222 1222 ( मुफाईलुन )

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हमारे दिल से पूछोगे हमारा हाल कैसा है 
बतायेगा तुम्हें यारो तुम्हारे हाल जैसा है 

सभी उलझे मुहब्बत में सभी बर्बाद से लगते 
कभी लगता ये मसला भी खुदा की चाल जैसा है 

रहे क्यों हुस्न बेपर्दा रकीब-ऐ-अंजुमन में भी 
सितमगर सोच मत ऐसा गलीज़-ऐ-ख़्याल जैसा है  

अगर उल्फ़त किसी से है ज़रा ये सोच के चलना 
यहाँ पे इश्क़ तो प्यारे शहीद-ऐ-जाल जैसा है  

लबों से आह ना निकले शिकायत हो हसीनों से 
सभी मरते हैं घुट घुट के दिलों का हाल ऐसा है 

वफ़ा कर ली अगर तुमने बताना मत उसे यारो  
बिताओगे उमर मर के वफ़ा का हाल ऐसा है 

रहो माँ-बाप संग भी तुम जरूरत है उन्हें तेरी 
ज़हन मुज़तर बताता है बुढ़ापा काल जैसा है  

मिराज-ऐ-आरज़ू यारो भटकता है विरानों में
मेरा अन्जाम भी यारो हिरण के हाल जैसा है 

आरज़ू-ऐ-अर्जुन  

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