"अल्लाह ख़ैर करे"
आज आदमी की कीमत कपड़ों से लगाई जाती है
और उसकी औक़ात उसके जूतों से बताई जाती है
कोई फ़र्क नहीं पड़ता किस काबिल होगा नेता वो
हर दागी पैसे वाले को आज कुर्सी थमाई जाती है
अब मुर्दा लोगों का भी यहाँ ऑप्रेशन हो जाता है
ग़रीब की मज़बूरी से बस रक़म कमाई जाती है
असल में लुटती है आबरू लड़की की कचहरी में
चंद पैसों की ख़ातिर ईज्जत लूटी-लुटाई जाती है
ख़्वाब सा लगने लगा है अब बच्चों की पढ़ाई यार
रिश्वत खोरी को अब यहाँ डोनेशन बताई जाती है
किताबों की बातें काला झूठ डेरों की बातें सच्ची हैं
भगवान् के पर्याय को यहाँ गुरु गुरु पढ़ाई जाती है
वक़्त कहाँ है अब हमें, अपनों को समझाने का
अब तो मर्ज़ी आपकी S M S पर दिखाई जाती है
अल्लाह ख़ैर करे दीवाने आरज़ू जैसे बन्दों पे
उनके तीखें अल्फ़ाज़ों से बस आग लगाई जाती है
AARZOO-E-ARJUN
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