ग़ज़ल
बहर - 1222 1222 122
बहर - मुफाईलुन, मुफाईलुन, फऊलुंन
काफ़िया ( 'ओ' स्वर )
रदीफ़ ( नहीं था )
-------------------------------------------------
हमीं बस थे कहीं भी वो नहीं था
मेरी चाहत के काबिल वो नहीं था
जिसे सारी उमर कहते थे अपना
रहे हम ग़ैर अपना वो नहीं था
किसे कहते यहाँ पर दर्द दिल का
किसी पे अब यकीं दिल को नहीं था
रहे बिखरे यहाँ पर हम फ़िसल के
कभी ख़ुद को समेटा जो नहीं था
कभी तोडा कभी उसने बनाया
खिलौना पास खेलने को नहीं था
बुरा कहते नहीं हम ' आरज़ू ' को
बुरे थे हम बुरा पर वो नहीं था
आरज़ू-ए-अर्जुन
बहर - 1222 1222 122
बहर - मुफाईलुन, मुफाईलुन, फऊलुंन
काफ़िया ( 'ओ' स्वर )
रदीफ़ ( नहीं था )
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हमीं बस थे कहीं भी वो नहीं था
मेरी चाहत के काबिल वो नहीं था
जिसे सारी उमर कहते थे अपना
रहे हम ग़ैर अपना वो नहीं था
किसे कहते यहाँ पर दर्द दिल का
किसी पे अब यकीं दिल को नहीं था
रहे बिखरे यहाँ पर हम फ़िसल के
कभी ख़ुद को समेटा जो नहीं था
कभी तोडा कभी उसने बनाया
खिलौना पास खेलने को नहीं था
बुरा कहते नहीं हम ' आरज़ू ' को
बुरे थे हम बुरा पर वो नहीं था
आरज़ू-ए-अर्जुन
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