ग़ज़ल
मात्रा : 222 222 222
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वो आँखों से कुछ नाराज़ दिखे
तन्हा तन्हा से अंदाज़ दिखे
लब पे ख़ामोशी बरहम ज़ुल्फ़ें
वो आज हमें कुछ नासाज़ दिखे
एक सूखे आँसू को देखा जब
उनके चेहरे पे कुछ राज़ दिखे
वो टूटा आईना यह कहता था
वो अपने अक्स से नाराज़ दिखे
जब पूछा था उनकी धड़कन से
तो अटके अटके अलफ़ाज़ दिखे
उसने की थी कोशिश जीने की
पर हारे हारे अन्दाज़ दिखे
वो उसदिन मेरे साथ रहे थे
पर क्यों इतने दूर-दराज़ दिखे
जब राज़ खुला सांसों का 'अर्जुन '
तब हम खुद भी बेआवाज़ दिखे
आरज़ू-ए-अर्जुन
मात्रा : 222 222 222
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वो आँखों से कुछ नाराज़ दिखे
तन्हा तन्हा से अंदाज़ दिखे
लब पे ख़ामोशी बरहम ज़ुल्फ़ें
वो आज हमें कुछ नासाज़ दिखे
एक सूखे आँसू को देखा जब
उनके चेहरे पे कुछ राज़ दिखे
वो टूटा आईना यह कहता था
वो अपने अक्स से नाराज़ दिखे
जब पूछा था उनकी धड़कन से
तो अटके अटके अलफ़ाज़ दिखे
उसने की थी कोशिश जीने की
पर हारे हारे अन्दाज़ दिखे
जब राज़ खुला सांसों का 'अर्जुन '
तब हम खुद भी बेआवाज़ दिखे
आरज़ू-ए-अर्जुन
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