आदाब
बात सीखी है संसार से
ज़िंदगी चलती है प्यार से
हाथ पे हाथ मत रखना तुम
बात बनती है इज़हार से
वो नहीं तो कोई और सही
क्यों डरें यार इंकार से
गोलियां दागते मुझपे क्यों
कर फ़ना आंख के वार से
दिल किसी का न टूटे कभी
ये गुज़ारिश है करतार से
बिक रहे थे सरेआम दिल
एक ख़रीदा है बाज़ार से
गा रहे लोग जो बेसुरा
चल रहें हैं वो रफ्तार से
कर यकीं खुद पे तू 'आरज़ू '
कौन सच कह रहा यार से
आरज़ू -ए-अर्जुन
बात सीखी है संसार से
ज़िंदगी चलती है प्यार से
हाथ पे हाथ मत रखना तुम
बात बनती है इज़हार से
वो नहीं तो कोई और सही
क्यों डरें यार इंकार से
गोलियां दागते मुझपे क्यों
कर फ़ना आंख के वार से
दिल किसी का न टूटे कभी
ये गुज़ारिश है करतार से
बिक रहे थे सरेआम दिल
एक ख़रीदा है बाज़ार से
गा रहे लोग जो बेसुरा
चल रहें हैं वो रफ्तार से
कर यकीं खुद पे तू 'आरज़ू '
कौन सच कह रहा यार से
आरज़ू -ए-अर्जुन
Comments
Post a Comment