आदाब
हाथ में जब से ख़जाने आ गए
लोग तो हमको मनाने आ गए
यह चोबारा जब हुआ ऊँचा मेरा
लोग बस बातें बनाने आ गए
छोड़ देता तेरी दुनिया को खुदा
फ़र्ज मेरे कुछ पुराने आ गए
मैं कभी रूठा था तुमसे ऐ खुदा
दर पे तेरे सिर झुकाने आ गए
हो गया जब खा़क जल के घर मेरा
लोग तब घर को बचाने आ गए
बाद मुददत के हसा था खुल के मैं
आज फिर वो दिल दुखाने आ गए
ज़िंदगी भर दर्द देकर खुश थे तुम
मौत पर आंसू बहाने आ गए
आरज़ू सुनता रहा है तलखियां
आप भी हमको सुनाने आ गए
आरज़ू -ए-अर्जुन
हाथ में जब से ख़जाने आ गए
लोग तो हमको मनाने आ गए
यह चोबारा जब हुआ ऊँचा मेरा
लोग बस बातें बनाने आ गए
छोड़ देता तेरी दुनिया को खुदा
फ़र्ज मेरे कुछ पुराने आ गए
मैं कभी रूठा था तुमसे ऐ खुदा
दर पे तेरे सिर झुकाने आ गए
हो गया जब खा़क जल के घर मेरा
लोग तब घर को बचाने आ गए
बाद मुददत के हसा था खुल के मैं
आज फिर वो दिल दुखाने आ गए
ज़िंदगी भर दर्द देकर खुश थे तुम
मौत पर आंसू बहाने आ गए
आरज़ू सुनता रहा है तलखियां
आप भी हमको सुनाने आ गए
आरज़ू -ए-अर्जुन
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