आदाब
212 212 212 2
खूबसूरत बड़ी ज़िंदगी है
हौसले के बिना तीरगी है
है महज़ खेल ही ये सफर भी
जीत भी हार भी ज़िंदगी है
अनसुना कर चलें जब ग़मों को
तो लगे खूब आवारगी है
हर कोई यार प्यासा यहाँ पे
आरज़ू की यहाँ तिश्नगी है
धूप के छांव के रास्तों पे
मंज़िलें कर रही दिल्लगी है
रूख़ से पर्दा हटा दो ज़रा तुम
हमसे क्यों आज नाराज़गी है
मर रहे हैं सभी दोलतों पे
आग कैसी यहाँ पर लगी है
जान लो राज़ यह ख़ार बनके
फूल में क्यों बड़ी सादगी है
भूख से मर रहे लोग देखो
ज़िंदगी, मौत बनने लगी है
'आरज़ू ' नासमझ सोचता है
प्यार ही आज भी बंदगी है
आरज़ू -ए-अर्जुन
212 212 212 2
खूबसूरत बड़ी ज़िंदगी है
हौसले के बिना तीरगी है
है महज़ खेल ही ये सफर भी
जीत भी हार भी ज़िंदगी है
अनसुना कर चलें जब ग़मों को
तो लगे खूब आवारगी है
हर कोई यार प्यासा यहाँ पे
आरज़ू की यहाँ तिश्नगी है
धूप के छांव के रास्तों पे
मंज़िलें कर रही दिल्लगी है
रूख़ से पर्दा हटा दो ज़रा तुम
हमसे क्यों आज नाराज़गी है
मर रहे हैं सभी दोलतों पे
आग कैसी यहाँ पर लगी है
जान लो राज़ यह ख़ार बनके
फूल में क्यों बड़ी सादगी है
भूख से मर रहे लोग देखो
ज़िंदगी, मौत बनने लगी है
'आरज़ू ' नासमझ सोचता है
प्यार ही आज भी बंदगी है
आरज़ू -ए-अर्जुन
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