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चलो फिर से सफ़र करते हैं

चलो फिर से सफर करते हैं

चलो फिर से सफ़र करते हैं
नई मंजिल को नज़र करते हैं
सजाते हैं फिर कुछ नई राहें
नए काफ़िले में बसर करते हैं
                   चलो फिर से सफ़र करते हैं।

आँखों पर कोई ग़ुबार न हो
देखना कहीं तुझे ख़ुमार न हो
यह मय से मय्यसर होकर
दिल पे गहरा असर करते हैं
                   चलो फिर से सफ़र करते हैं।

इस बार ऊर्जा बचा के रखना
अपनी कमीयां छुपा के रखना
दूर रहना तुम ऐसे बशर से
जो धूप में  शज़र करते हैं
                  चलो फिर से सफ़र करते हैं।

देखना इस बार वक़्त न गुज़रे
राहों पे तेरा रक्त न गुज़रे
आखरी पहर गुज़रने से पहले
अपनी पूरी कसर करते है
                  चलो फिर से सफ़र करते हैं।

उतार के जीस्त झंडा फ़हरा दो
जीत के निशान को लहरा दो
जहाँ पे हो गर्व सभी को
कोई ऐसी रहगुज़र करते हैं
                 चलो फिर से सफ़र करते हैं।  

आरज़ू-ए-अर्जुन 


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