आदाब
ज़िंदगी का काम है दर दर फिराएगी हमें
हर कदम पर आईना ये तो दिखाएगी हमें
गलतियां इंसान की होती गुरु है ऐ बशर
खेलना हैं खेल कैसे ये सिखाएगी हमें
हम लड़े हैं आँधियों के काफिलों से भी यहाँ
यह डरी सी बिजलियाँ कैसे डराएगी हमें
दिन कटा है बेखुदी में रात काटी जाग कर
दिल्लगी ये फलसफे कितने दिखाएगी हमें
आज मुश्किल आ पड़ी तो ढूँढतें माँ बाप को
पूछते खाता कहाँ है माँ बताएगी हमें ?
भूख ऐसी चीज़ है जिसके लिए ज़िंदा जलें
जल रहे हैं और कितना ये जलाएगी हमें
हम यहाँ पर चल रहें हैं मंज़िलों की चाह में
देखना तुम वो गले से भी लगाएगी हमें
चाहतें हैं 'आरज़ू ' हम ज़िंदगी से और क्या
है नवाज़ा हौसला अब क्या दिलाएगी हमें
आरज़ू -ए-अर्जुन
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