आदाब
ज़िंदगी तो उफ़नती सी मझधार है
हौसले बिन ये कश्ति भी बेकार है
हैं मुनव्वर सी राहें मेरी हर जगह
दिल मुहब्बत में जब से गिरफ्तार है
वो मुहब्बत की तहरीर लिखते नहीं
देखते जो बशर फूल में ख़ार है
चार पैसे बनी ज़िंदगी आज की
इसके पीछे पड़ा आज संसार है
मुफलिसों को रूलाता सताता है जो
वो तो इंसानियत का गुनहगार है
यह मेरी ज़िंदगी, यह मेरी बंदगी
देश के वास्ते , यार तैयार है
चाहतों का जहाँ अब फकत है कहाँ
दासतां ईश्क के , अब तो दो चार हैं
काम आया कभी जो किसी काम के
सोचना 'आरज़ू ' अब तू गुलज़ार है
आरज़ू -ए-अर्जुन
ज़िंदगी तो उफ़नती सी मझधार है
हौसले बिन ये कश्ति भी बेकार है
हैं मुनव्वर सी राहें मेरी हर जगह
दिल मुहब्बत में जब से गिरफ्तार है
वो मुहब्बत की तहरीर लिखते नहीं
देखते जो बशर फूल में ख़ार है
चार पैसे बनी ज़िंदगी आज की
इसके पीछे पड़ा आज संसार है
मुफलिसों को रूलाता सताता है जो
वो तो इंसानियत का गुनहगार है
यह मेरी ज़िंदगी, यह मेरी बंदगी
देश के वास्ते , यार तैयार है
चाहतों का जहाँ अब फकत है कहाँ
दासतां ईश्क के , अब तो दो चार हैं
काम आया कभी जो किसी काम के
सोचना 'आरज़ू ' अब तू गुलज़ार है
आरज़ू -ए-अर्जुन
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