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ग़ज़ल (फिर अधूरी आरज़ू रह गई है )

ग़ज़ल 
मात्रा     ( 2122  2122  122 ) 

फिर अधूरी आरज़ू रह गई है 
एक प्यासी जुस्तजुु रह गई है 

छोड़ आये कारवां फिर वहीँ पे 
याद सारी फिर वहीं रह गई है 

वो कसक दिल में दबाने से पहले 
बेवफा धड़कन किसे कह गई है 

कौन खेला है दिलों का खिलौना 
बात यह दिल की अभी रह गई है 

आज मुड़के देखते हैं  खुदी को 
ज़िंदगी जाने कहाँ बह गई है 

भूल जाओ तुम अभी आरज़ू को 
फिर न कहना कुछ कमीं रह गई है 


आरज़ू-ए-अर्जुन 
 

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