नज़म
( हर लम्हा चाहा है, तुमको मैंने )
हर लम्हा चाहा है, तुमको मैंने
हर लम्हा पाया है, तुमको मैंने
लफ्ज़ छू लेते है, जब तेरे नाम को
गुनगुनाने लगें, हम सुबह शाम को
तेरे नाम को.. तेरे नाम को... तेरे नाम को...
बारिश की बूंदें, तेरे लबों पे
जब गिरे तो मुझे, ऐसा लगे
जैसे दहकता, दरिया हो कोई
होटों से सीने, उतरने लगे
होश उड़ जाते हैं, सामने देखकर
तेरा हो जाता है, दिल मेरा बेख़बर
मेरे हमसफ़र...मेरे हमसफ़र....मेरे हमसफर
जिस पल में तू मिले, वो पल हसीं है
जिस पल तू न मिले, कुछ भी नहीं है
प्यासी निगाहों को, मिल जाएँ राहतें
आये नज़र जो तू, तो.... ज़िंदगी है
साँस छू लेती है, जब तेरी साँस को
तो सुलग जाता है, भीगा मन रात को
तेरी साँस को, तेरी साँस को, तेरी साँस को....
आरज़ू-ए-अर्जुन
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