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( ज़ज़्बात )

( ज़ज़्बात )  
1. 
यह कैसी आज़ादी  है 
हरेक  की आवाज़ इस ग़ुरबत और मायूसी ने दबा दी है 
कब तक सहेंगे इस तपिश को हम ,
यह किसने आग लगा दी है .

(आरज़ू )

2. 
खुदा ने इंसान बनाया इंसान ने खुदा ही बाँट डाला 
उसने तो बक्शी थी इक ही धरती एक ही आसमां 
हमने सरहदे काटी और आसमान बाँट डाला .

(आरज़ू)

3. 
इस दिल की महफ़िल में  तो जली 
मगर अरमान ही जलते रहे,
दिल ने किस-2 को न पुकारा होगा 
मगर सब हमदर्द मुह फेर के चलते रहे।

(आरज़ू)

4. 
कब से दिल की खामोश चीखों को सुनता रहा था 
आज तकलीफ़ इतनी हुई के उसे आवाज़ मिल गई

(आरज़ू)

5.
इस मतलब की दुनियां में भरोसा करे करें  तो किस पे 
अँधेरा होते ही अपना  साया भी साथ छोड़ देता है आरज़ू ..

(आरज़ू)

6.

 इस कदर हुए इस जिंदगी से रुसवा ए आरज़ू 
घर के दरो दीवार भी अजनबी से लगने लगे।

(आरज़ू) 

7. 
आइना साफ़ करके क्या देखता रहा था आरज़ू 
वक़्त ने आंसू क्या पोंछे हर  चेरहा साफ़ दिखने  लगा।
 
(आरज़ू)

8. 
हमने पलकें  क्या बंद की हर मंज़र बदल गया 
फूलों सा महकता था कभी, आज शोलों सा सुलग गया 

(आरज़ू)

9. 
हम देखते रहे उनकी नफरतों को हसरतों से 
अदा तो वही थी मगर अंदाज़ बदल गए 

(आरज़ू)

10. 
इन आँखों के धोखे में कितनी दूर रह गया तू आरज़ू ,
जिंदगी की रफ़्तार इतनी तेज़ है कैसे कदम मिला पायेगा तूँ 

(आरज़ू)

11. 
वो जो दिल को चुरा के आँखों से मुस्कुराते थे 
अक्सर नज़रे चुरा कर जाते देखा है 
यह बात नई नहीं है मेरे दोस्त,
यह धोखा हमने सबको खाते देखा है।

(आरज़ू)

12. 
इतने रास्ते देख कर हैरान है हम 
कौन  सा रास्ता  उस तक जायेगा,  
यह सोच कर  परेशान है हम
जब करीब थे तो बरसो लगे थे पहुँचते-2
आज जब इतनी दूर हो गए है 
जाने कब तक पहुँचूँगा उनतक यूँ  भटकते-2

(आरज़ू)

13. 
बरसों इन अंगारों पे सुकून से चलते रहे 
उसकी आँखों से एक आँसूं क्या ढला 
मैं उन शबनमी बूंदों से ही जल गया ..

(आरज़ू)

14. 
अपने अतीत के दामन में देख रहा था 
कितने जखम आज भी गहरे है 
कौन कहता है वक़्त हर, जख्म भर देता है आरज़ू 

(आरज़ू)

15. 
यह वक़्त रुलाता है किसी को 
वक़्त हसाता है किसी को 
इस वक़्त के साथ जीना सीख लो यारो 
वफ़ा मिलती नहीं यहाँ हर किसी को 

(आरज़ू)

16. 
मत सुना सबको दर-ए -दिल की दास्ताँ ए आरज़ू 
दोस्त होता नहीं हर कोई  दिल को चुरा लेने वाला 

(आरज़ू)

17. 
न जाने कबसे ये आँखे उसके इन्तजार में जलती रहीं 
सुकून भी तब मिला जब यह जल कर खाक हो गई 

(आरज़ू)

18. 
मेरे खामोश लबों का दर्द न सुन ले ए- आरज़ू 
इस लिए तमाम उम्र हस कर गुजार दी 

(आरज़ू)

19.
 बरसों इन आँखों से इतने ग़म बरसे 
आज खुशी से रोया तो भी उसने 
दुआ के लिए हाथ उठा दिए .

(आरज़ू)

20. 
ऐसा लगता है उनकी भी ग़म से मुलाकात हो गई 
मुझे मुस्काता देख उसकी भी आँखों से बरसात हो गई 

(आरज़ू)

21. 
मेरे हालातों को देख किस्मत भी घबराने लगी 
कोई देना चाहता है सांसें मुझे मगर अब 
जिन्दगी खिसकती नज़र आने लगी 

(आरज़ू)

22. 
मेरी तकदीर को संवार दिया तुने 
अपनी खुशिओं को कुर्बान करके 
लाऊंगा मुस्कान तेरे लिए भी 
अपनी साँसों को नीलाम के

(आरज़ू)   

23.
याद है वो अमावास (दीवाली ) की रात 
जब जगमगाई थी जिंदगी तेरे प्यार में 
आज काली सी लगती है जिंदगी 
इस पूनम की रात में .

(आरज़ू)

24. 
आएगा सावन तो भीग जायेगा मन तेरे प्यार में 
तभी खोया था मैंने दिल एक मीठी सी तकरार में 

(आरज़ू)

25. 
कहता है दिल फिज़ा में इतनी नमी क्यों है
क्या आज भी कोई, सिसक रहा है कहीं पे आरज़ू 

(आरज़ू)

26. 
वो चाहते है साथ चलें उम्र भर, इस सफर में हमदम 
ग़र सांसें साथ न दे, तो फिर यह मुसाफिर क्या करे     

 (आरज़ू)

27. 
जब भी देखता हूँ तेरी मासूम सी मुस्कान को 
तो जीने को दिल चाहता है, वरना !
इस मतलब की दुनियाँ में अब रखा क्या है आरज़ू  

(आरज़ू)

28. 
इस बेरंग जिंदगी में वो रंगीन खुशी लौट आएगी 
ऐ  दिले- नादान उस पे इतना भरोसा क्यों है

(आरज़ू)

29. 
वो न चाहते हुए सिमट जायेंगे गैर के आग़ोश में 
समझ नहीं आता यह रिश्ता है कोई यां दो रूहों का सौदा    

(आरज़ू)

30. 
दर्द कम कर सकता ग़र शराब
तो पैमाने का दिल भी गुमां करता
जानते हो साकी, खली होते ही वो मुझे तोड़ देगा 

(आरज़ू)

31.
वो जो भरते थे अपनी चाहत का दम 
वही कहेंगे एकदिन, अब मेरा दम घुटता है

 (आरज़ू)

32.
मैंने किस्मत से पुछा क्यों इंसान से खेलता है तू 
एक तो खुदा ने मिट्टी का बनाया
उस पे शीशे का दिल दिया 
और उसी पे पत्थर फेंकता है तू 

(आरज़ू)
   
33.
जब भी कोई मिला हमदम एक अधूरा अफ़साना दे के चला गया 
अब जो मिले हो तुम तो लगता है शायद कोई दास्ताँ बन जाये।

(आरज़ू)  
 

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