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( जलती मानवता )

( जलती मानवता )

चंद अल्फाजों ने इंसान एक काम कर दिया 

किसी को हिन्दू लिखा किसी को मुसलमां कर दिया
लोगों ने गीता और क़ुरान तो पढ़े 
जाने क्या सीखा के इंसानियत को शर्मसार कर दिया 
इस धर्म की लड़ाई में तेरे ही बन्दों ने,
न जाने कितने मासूमो को कुर्बान कर दिया 

क्यों नहीं देखता इन्सां काग़ज कलम किताबों को
क्यों नहीं समझता इन्सां मोहब्बत के हिसाबों को  
पंडित और मौलवी न जाने किस जंग में शुमार है 
ज़मीं तेरी आसमा तेरा फिर किस बात का खुमार है 
तेरी बगिया से खुशबु ढूंढ़ता रहता हूँ मैं 
जिस बगिया को दिया था तूने हमने रेगिस्तान कर दिया 

तेरे बाग बगीचों को बंकर बनते देखा 
तेरे भी आशियाने को कंकर बनते देखा 
बांसुरी की आवाज से ज्यादा बंदूक की आवाज गूंजे 
दर पे तेरे भजन नहीं, अब सिक्कों की आवाज गूंजे 
सच्ची भक्ति श्रद्धा को धूप में झुलसते देखूँ  मैं 
आज तेरे ही दर पे लोगों ने दौलत को भगवन कर दिया 

देख कर अपने बन्दे बिलखता तो होगा तू  भी 
जलते सुलगते देख उन्हें सुलगता तो होगा तू भी 
मिलता नहीं सुकून इन पीर दरबारों से अब कहीं 
यह मंदिर मस्जिद तेरे फिर क्यों दिखता तू नहीं  
गुलशन करदे फिर से हमारे दिलो-दिमाग को 
जिसे हमने आज मंदिर से शमशान कर दिया 

( आरज़ू )


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Aaj ke yoga divas par meri ye rachna..          चलो योग करें एक  काम सभी  हम रोज़ करें योग   करें   चलो   योग   करें भारत  की  पहचान   है   यह वेद-पुराण  का  ग्यान  है  यह स्वस्थ   विश्व   कल्याण   हेतु जन जन का अभियान है यह सीखें    और     प्रयोग    करें योग   करें   चलो   योग   करें मन  को निर्मल  करता  है यह तन को  कोमल  करता है यह है  यह  उन्नति  का  मार्ग  भी सबको  चंचल  करता  है  यह बस  इसका  सद  उपयोग करें योग   करें   चलो    योग   करें पश्चिम   ने   अपनाया   इसको सबने   गले   लगाया    इसको रोग  दोष   से  पीड़ित  थे  जो राम  बाण  सा  बताया  इसको सादा    जीवन   उपभोग   करें योग   करे...

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आदाब दिल तुम्हारा जब चुराया जाएगा दोष तुमपर ही लगाया जाएगा इस मुहब्बत में फ़क़त पहले पहल तुमको पलकों पर बिठाया जाएगा तोल लेना पर को तुम अपने यहाँ तुमको ऊँचा भी उड़ाया जाएगा उड़ना लेकिन छोड़ मत देना ज़मीं तुमको नीचे भी गिराया जाएगा झांकना मत आंखों में वो फ़र्ज़ी है ख़ाब झूठा ही दिखाया जाएगा बढ़ रहे आहिस्ता से तुम मौत को यह नहीं तुमको बताया जाएगा है मुहब्बत खूबसूरत सी बला जाल में इसके फंसाया जाएगा प्यार में वादा करो पर सोच कर देखना, तुमसे निभाया जाएगा यह नहीं कहता मुहब्बत मत करो टूट कर क्या तुमसे चाहा जाएगा जो मुहब्बत पाक सी है 'आरज़ू' उसके आगे सर झुकाया जाएगा आरज़ू-ए-अर्जुन

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ग़ज़ल दौलत नहीं,   ये अपना संसार  माँगती हैं ये बेटियाँ  तो हमसे,  बस प्यार माँगती हैं दरबार में ख़ुदा के जब  भी की हैं दुआएँ, माँ बाप की ही खुशियाँ हर बार माँगती हैं माँ  से दुलार, भाई से  प्यार  और रब  से अपने पिता की उजली  दस्तार माँगती हैं है दिल में कितने सागर,सीने पे कितने पर्बत धरती के जैसा अपना, किरदार माँगती हैं आज़ाद हम सभी हैं, हिन्दोस्ताँ में फिर भी, क्यों 'आरज़ू' ये अपना अधिकार माँगती हैं? आरज़ू