( कसौटी )
छीन के आँखों की रौशनी
सावन की घटा दिखाता है तू
कर के मेरे पांवों को घायल
मंजिल का रास्ता बताता है तू
चलूँगा फिर भी इच्छा शक्ति से मैं
और मन की आँखों से प्रकाशमान हूँ
तू रख दे कोई भी कसौटी सामने
खरा उतरूंगा अब मैं वो इंसान हूँ
(आरज़ू)
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