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चाहत का एहसास

चाहत का एहसास 

उसने प्यार से गले लगाया तो वो सुकून मिला
जैसे मुददत बाद कोई भूला घर आया हो

उनकी बाँहों में जब आया तो छलक उठी आँखें
जैसे तरसी हुई खुशी को सीने लगाया हो

उनके हाथो ने जब माथे को सहलाया तो ऐसा लगा
जैसे दिल के छालों पे मरहम लगाया हो

उनके गेसुओं की छाया यूँ थी मुझपे
जैसे तपते सेहरे में घने बादलों की छाया हो

उनकी गोद में जब सिर रखा तो धडकनें  यूँ थी मेरी
जैसे कोई जिंदगी की दौड़ जीत कर आया हो

उनके प्यार को जब पाया तो यह महसूस हुआ
जैसे ताउम्र आरज़ू ज़िंदगी में कुछ न पाया हो


(आरज़ू )

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