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Showing posts from September, 2013

( कव्वाली )इक नज़र करम की करदे ओ लाखो पे करने वाले

( कव्वाली ) मैंने सुना है तेरे दर पे बिगड़ी तकदीर बनती है तेरे बन्दों के दिल में तेरी तस्वीर बनती है मै भी अपनी तकदीर तुझसे लिखवाने आया हूँ पढ़ले चेहरे पे मेरे तूं  इसपे  फरियाद बनती है इक नज़र करम की करदे ओ लाखो पे करने वाले इक मेहर इधर भी करदे ओ लाखों पे करने वाले मै  दर पे तेरे आया हूँ और झोली खाली लाया हूँ तूं झोली मेरी भर दाता मुझपे भी करम अब कर दाता मै भी तो तेरा बंदा हूँ मेरी मुश्किल भी हर दाता मै भी तकदीर का मारा हूँ किस्मत रोशन करने वाले इक नज़र करम की करदे ओ लाखो पे करने वाले इक मेहर इधर भी करदे ओ लाखों पे करने वाले शिर्डी की कसम तुझे है साईं हमपर भी रहमत कर साईं हमने भी आवाज़ लगाईं है तेरे दर पे हमारी दुहाई है  रोशन कर दो मेरी राहें तकदीर ने लॉ बुझाई है खाली हाथ न भेज मुझे तुम  ओ झोली को भरने वाले इक नज़र करम की करदे ओ लाखो पे करने वाले इक मेहर इधर भी करदे ओ लाखों पे करने वाले  अपनी आँखे भी खोल साईं अब तो मुह से कुछ बोल साईं बड़ी दूर से दर तेरे आया हूँ  चाक-ए- जिगर को लाया हूँ मन की बातें पढ़ने वाले मई कितने फ़साने लाया हूँ मेरी मुश्किल भी हल कर दे ओ लोगो

( कववाली )

( कववाली ) मंजूर कर फरियाद बन्दे की ए मौला आँखों में भर के सवाल लाया हूँ नवाजता है तू गरीबनावाज़ है मौला मैं सारे जवाब ढूढ़ने आया हूँ ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया। …. जी रहे है तेरे करम सदका वरना कबके मर जाते हम ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया तेरी आँखों से नूर ले कर  देखी है हमने दुनिया तेरे पैरों की धूल लेकर हमने संवारी दुनिया तेरा गर न हो इशारा कुछ भी न कर ही पाते हम जी रहे है तेरे करम सदका वरना कबके मर जाते हम ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया हम बोले यां न बोले तू फिर भी जानता है हम देखे यां न देखे तू सब को देखता है तू  ज़रा नज़र हटाये दुनिया में  गम हो जाते हम जी रहे है तेरे करम सदका वरना कबके मर जाते हम ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया तू सबके दिल में रहता बंदा क्या ढूढता है तू हर जगह समाया अंजना घूमता है तेरी हो नज़र सवल्ली तेरे नूर में नहाते हम जी रहे है तेरे करम सदका वरना कबके मर जाते हम ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए खुदाया ए ख

ए जिंदगी कितने अजीब तेरे है रास्ते

ए जिंदगी कितने अजीब तेरे है रास्ते ए जिंदगी ग़म बेशुमार जीने के वास्ते है कभी खुशिओं के मेले और कभी तन्हा अकेले तू हसी को बाटता है और कभी मुस्कान लेले कैसी पहेली है यह हर कोई उलझा इसमें धुंधली ज़मीन है यह धुंधला सा दिखता इसमें जाये कहा टेढ़े है रास्ते ए जिंदगी कितने अजीब तेरे है रास्ते ए जिंदगी ग़म बेशुमार जीने के वास्ते बागों में बहारे यहाँ शबनमी फुहारे यहाँ और  कभी शाखों पे मिलते पतझड़ी अंगारे यहाँ साहिल पे डूबती है साँसों की कश्तिया और कभी मिलती है आँखों की मस्तियाँ जाएँ कहाँ जीने के रास्ते ए जिंदगी कितने अजीब तेरे है रास्ते ए जिंदगी ग़म बेशुमार जीने के वास्ते            (आरज़ू)

( ग़ज़ल ) कभी यूँ ही मेरी राहों में आये होते

 ( ग़ज़ल ) कभी  यूँ ही मेरी राहों में आये होते कभी यूँ ही मेरी आँखों में समाये होते प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते धडकनों की उलझन में उलझे होते नज़रों की शर्मों हया में सुलझे होते प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते करते आईने से हम पहरों तेरी बातें रंगीन से दिन बेचैन सी होती रातें प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते मिलते टूटके पर कसक फिर भी होती कदम लडखडाते फिर वापिस जाते जाते प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते कभी  यूँ ही मेरी राहों में आये होते कभी यूँ ही मेरी आँखों में समाये होते प्यार हो जाता तुमसे बस यूँ ही होते होते        (आरज़ू)