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Showing posts from April, 2014

" बाबुल "

" बाबुल " ओ बाबुल तेरा कैसे करूँ शुक्रिया ओ बाबुल तूने मुझे जो भी दिया याद वो आये बचपन की यादें तेरी मीठी प्यार की बाते रात सुनाये परियों की कहानी सो जा मेरी गुड़िया रानी मेरे लिए फिर माँ को मनाना बेचैन करें तेरा छुप जाना बसती थी तुझमें मेरी इक दुनिया ओ बाबुल तेरा कैसे करूँ शुक्रिया तेरे अंगना मैं सखियों से खेली सोचते रहते थे तेरी पहेली बाँहों का तेरा झूला झुलाना ऊगली पकड़ कर पढ़ने को जाना बेमतलब ही यूँ ही रूठ जाना हाथ जोड़ कर मुझे मनाना सोच के मेरी छलके री  अखियाँ ओ बाबुल तेरा कैसे करूँ शुक्रिया मेरे लिए वो लोगों  की बातें मेरे लिए तू लोगों को डांटे देखते थे मेरी शादी के सपने दुश्मन से जब हो गए थे अपने तुमने फिर भी फ़र्ज़ निभाया हो के तनहा मुझे बसाया छलकी सी अँखियों से करके विदा ओ बाबुल तेरा कैसे करूँ शुक्रिया.                (  आरज़ू ) 

MEENAARZOO

" आरज़ू-ए-अर्जुन " -------------------------------------------- एक गूंज सी सुनाई दी है ये आवाज़ जानी पहचानी सी है दिल बेचैन सा हो उठा है मेरा शायद तूने ज़ोर से साँस ली है ------------------------------------------- एक अलग से एहसास ने मुझको छुआ है एक अजीब सा दर्द इस दिल को हुआ है अपनी सी लगने लगी है ये खुदगर्ज़ सी दुनिया जबसे मुझे, तुमसे ये  इश्क़ हुआ है. ------------------------------------------- बेमतलब नहीं  होता दिल का धड़क जाना बेमाइने नहीं होता आँखों का तड़प जाना फिर कोई दिल में बसे यां आँखों में बड़ा मुश्किल होता है इससे निकल पाना -------------------------------------------- हवाओं से खेलता ये तेरा आँचल फ़िज़ाओं में गूंजती ये तेरी हसी घटाओं से उलझती ये जुल्फें तेरी और होटो पे एक बात है दबी-दबी तुझे देख कर दिल कहता है मेरा तेरे बिन अब जीना नहीं, नहीं, कभी नहीं -------------------------------------------- मेरी बेतरतीब सी ज़िंदगी को सँवार दिया हो जैसे मेरे जीने के हुनर को निखार दिया हो जैसे मैं तो बिखरा पड़ा था तेरी राहों में कहीं तूने बाहों में समेटा,