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Showing posts from July, 2015

" मैं खुद से बातें करता हूँ "

                                               " मैं खुद से बातें करता हूँ " कभी कभार मैं खुद से एक सवाल करता हूँ क्या सच मे वफ़ा कोई चीज़ है जहाँ में, नहीं मेरा मतलब कोई किसी से इतना प्यार कर सकता है कि खुद की एहमियत को खत्म कर दे । बहुत बार सुना है कि किसी ने प्यार में जान दे दी, किसी ने प्यार में जान ले ली, कोई रात की नींद हराम करके बैठा है तो कोई दिन का चैन खोकर। किसी के दिन खुमार में गुजरते है तो किसी के दिन प्यार में रो रो कर मगर ये प्यार, मोह्ब्बत, इश्क़, स्नेह, प्रेम ये है क्या ? किसी को आज तक कुछ नहीं पता। देखा जाए तो इसका हर शब्द आधा अधूरा है पूरी उम्र गुजर जाती है इन शब्दों के मतलब को पूरा करते करते, प्यार का "प" आधा मोह्हबत का "ब" आधा इश्क़ का "श" आधा और प्रेम का "र" आधा।  सब कुछ आधा अधूरा सा ही लगता है फिर भी एक ज़िद है की मोह्ब्बत हो किसी से, यह पागल सा दिल कहता है की दिल दो और दिल लो किसी से।  इतना मतलबी है की अंजाम की परवाह तक नहीं करता। करता  है तो सिर्फ प्यार, मोह्हबत, इश्क़। मैं सोचता हूँ कि कौन वफादार है तुम, वो यां मै

" तसव्वरे आरज़ू "

" तसव्वरे आरज़ू " ये खामोशियाँ बोलने सी लगी है हर आती जाती साँस अब कहने सी लगी है बड़ी हसीं है ये ज़िंदगी गर तुम साथ हो मेरे बड़ी रंगीन है ये ज़िंदगी गर तुम पास हो मेरे महसूस करता हूँ मैं तुझे अपने आसपास आँखे बंद करके जब भी याद करता हु तुझे तो महकने लगती है मेरी हर साँस बेचैन सा हो उठता है ये दिल ज़हन में आते ही तेरा ज़िक्रे ख्याल। इस दिल के अंजुमन में रौशनी बिखर सी जाती है जब भी तेरी झुकी सी नज़र को तस्सव्वर करता हूँ तेरे माथे पे खेलती ये शोखभरी कुछ ज़ुल्फ़ें लहरा के अपनी अदाओं से रिझाती है मुझे तुम तो देखती नहीं हो मुझे उस वक्त मगर ये मेरी बेचैनी का हाले बयान करती होगी ज़रूर और मत महका करो खुशबु बनके इन फिज़ाओ में मेरे सिवा और भी सांस लेते हैं हवाओ में बहुत भटकता हूँ मैं तेरी  खुशबू में दर-बदर जैसे हिरन कस्तूरी की महक में भटकती है मगर मैं  जानता हूँ ये महक तुझसे आकर तुम्ही में कही खत्म हो जाती है शायद यह जीस्त तुझसे लिपट कर रोना चाहती है हसना चाहती है तुझमे खोना चाहती है तेरा बस जन्म जन्म का होना चाहती है प्यासी रूह पर सावन की तरह बरस जाओ मेरे

" अधूरी सी कहानी "

 " अधूरी सी कहानी " चलो फिर से लिखे वो अधूरी सी कहानी जिस में मैं था, तुम थी और वो अधूरी सी जवानी थी कितनी बातें तेरे लबों पे और कितनी हसरतें थी मेरी ज़बानी चलो लिख दें इस बार अपनी हर सांस एक दूजे के लिए चलो लिख दें इस बार तमाम उमृ एक दूजे के लिए और हाथ यू़ थामे के छुडा न सके ये ज़िंदगानी चलो फिर से लिखे वो अधूरी सी कहानी थी तमनना तेरे जुलफों तले खो जाने की थी तमनना तेरे आँचल तले सो जाने की थी तमनना तेरा जनम जनम का हो जानें की तुम चाहते थे के अब ये हाथ छूटे न कभी तुम चाहते थे के अब ये साथ छूटे न कभी चलो करें आसान वो तमाम सी परेशानी चलो फिर से लिखे वो अधूरी सी कहानी याद है वो सुनहरा खाब तेरी सुरमयी आखों का दूर कहीं एक छोटा सा घर हो सुरखाबों का हो रोशन ही रोशन उस घर की हर दीवार और आँगन मे खेलते हो सच्च हुए से ख्वाब फिर रात दिन गुजरें एक दूसरे की बाहों मे चलो खोज लाए फिर से वो हिम्मतें तूफ़ानी चलो फिर से लिखे वो अधूरी सी कहानी देखना इस बार कोई कड़ी कमजोर न रहे देखना इस बार किसी का जो़र न रहे मन ही मन में हर मुद्दे पे बात सी हो दो दिल के दरम्यान न क