Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2016

Happy new year. Resolution.. Ghazal

आदाब नए साल की ख़्वाहिश चलो रंज दिल  के सभी हम मिटाएँ नए  साल को  खुशनुमा  सा बनाएँ गए  साल  से  सीख   लेकर  चलेंगे नए  साल  में  ठोकरें  हम  न  खाएँ बनें देश की हमc तरक्की के साधन इसे फिर से सोने की चिड़िया बनाएँ निवाले  जुटाने  हैं  सबके लिए  भी चलो  कुछ  तरीके  नए सीख  आएँ खुले  आसमां  के  तले सो  रहें  जो उन्हें  गर्दिशों  से  चलो  हम  बचाएँ हो बेख़ौफ औरत गली में, सड़क पे जो बेख़ौफ आएँ  तो  बेख़ौफ  जाएँ हो बच्चों के हाथों में पुस्तक खिलौने बराबर  से  मौके  सभी  को दिलाएँ मिले यार बनके यूँ  पीरी  से बचपन बुज़ुर्गों  के  कोने   को  ऐसे  सजाएँ कहीं खो न दे हम खुदी को जहाँ में कभी पास खुद को भी अपने बिठाएँ खुदा से दुआ 'आरज़ू ' बस  यही है हमेशा  वो   इंसाँ  को   इंसाँ  बनाएँ आरज़ू -ए-अर्जुन

Khwab hi mera jagata hi mujhe

आदाब हाज़रीन ख्वाब   ही  मेरा जगाता  है  मुझे चलते  रहना, यह बताता है मुझे रास्ते   आसाँ    नहीं  होंगे   यहाँ हौसला  भी  वो  दिलाता है मुझे चार पैसे  जोड़ लो  यह  वाक्या अब हसाता  गुदगुदाता  है  मुझे है  मदारी  आज  पैसा  'आरज़ू ' हर गली में यह  नचाता  है  मुझे आरज़ू

Baat seekhi hai sansaar se..

आदाब बात   सीखी   है   संसार से ज़िंदगी  चलती  है  प्यार  से हाथ पे हाथ  मत रखना तुम बात  बनती  है   इज़हार  से वो नहीं तो  कोई  और  सही क्यों   डरें   यार   इंकार   से गोलियां  दागते  मुझपे  क्यों कर  फ़ना आंख  के  वार से दिल  किसी का न टूटे  कभी ये  गुज़ारिश   है  करतार  से बिक  रहे  थे  सरेआम  दिल एक  ख़रीदा  है   बाज़ार  से गा   रहे    लोग   जो  बेसुरा चल  रहें   हैं  वो  रफ्तार  से कर  यकीं खुद  पे तू 'आरज़ू ' कौन  सच  कह  रहा यार से आरज़ू -ए-अर्जुन

Mere har kafile me bani hai.. Ghazal

आदाब हाज़रीन मेरे हर  काफिले  में  भी बनी  है  दोस्त तन्हाई जहाँ तक चल सका था मैं, मेरे पीछे चली आई बिना मकसद यहाँ पर क्यों जिया सा जा रहा था मैं मैं ज़िंदा था मगर कैसे समझ यह बात ना आई.. हिज़र की  लाश  सेकी है  यहाँ हर रात मैने भी किया तौबा  मुहब्बत से  मुझे तो रास ना आई कभी मंदिर कभी मस्जिद गया था सिर छुपाने मैं निकाला हर जगह मुझको, नही थी हाथ में पाई मिसाल-ए-ताज  देकर तो  मेरी बीवी सताती है मुसीबत आशिक़ों की यह शहंशाह ने है बनवाई हमेशा गौर करना तुम हुई गलती पे हर अपनी बशर इसकी नसीहत में बड़ी  होती  है गहराई रहो तैयार दुनियां में किसी  भी आपदा से तुम नहीं तो  ज़िन्दगी  तेरी  बनेगी  एक  तमाशाई मेरे  ग़म भी  सुनाते हैं,  मुझे  धुन 'आरज़ू' ऐसी बजाते  हों  खुशी के यूं,  मेरे  कानों में शहनाई आरज़ू -ए-अर्जुन

Yun anjuman se bekaraar aaye. Ghazal

आदाब यूँ  अंजुमन  से  बेकरार आये किसी से होकर शिकार आये किसी  ने  ना  दी  हमें  सदायें वहां पे  किसको पुकार आये नशा  मुहब्बत का  है  नशीला बिना  पिये  ही   ख़ुमार  आये नहीं  मिटूँगा  न  कोशिशें  कर हजा़र    देखे,    हजा़र    आये किसी को मिलते गुलों के साये किसी  के हिस्से में  खा़र आये कोई भी भूखा न  सोए  या रब सभी  को  रोटी  दो  चार आये कभी  खुशी   को   रहे  तरसते कभी  तो    ये   बेशुमार   आये मुझे  मिटाने   की   हसरतों  में तुम्हारे    जैसे    हजा़र    आये अभी ये आलम खि़जा़  बना है दुआ   करो   के   बहार   आये खुदा  तो   पूछेगा  आरज़ू   को ये  ज़िन्दगी  क्यों  गुज़ार  आये आरज़ू -ए-अर्जुन

Unhe dekh kar manchale chal rahe hai.

आदाब उन्हें  देख  कर  मंचले  चल  रहे  हैं मुहब्बत के ये सिलसिले चल रहे हैं कदम को ज़रा तुम बढ़ा कर तो देखो लगेगा  तुम्हें  काफ़िले  चल  रहे  हैं अकेला नहीं  आज  दुनिया में तू है तेरे  साथ  में   हौसले  चल  रहे  हैं दिलों के ये छाले दिखा ना किसी को यहाँ पे  सभी  दिलजले  चल रहे हैं दरारें  पड़ी  हैं  सभी   के  दिलों में जमीं पे नहीं  ज़लज़ले  चल  रहे हैं हसी  पे न  जाओ  मेरी ऐ  दिवानों हैं सुलगे  हुए पर खिले चल रहे हैं यकीनन  मिलेंगी  हमें  मंज़िलें भी लिए हौसले  को  चले  चल रहे हैं यकीं आरज़ू अब करे किस बशर का दिलों में अभी करबले चल रहे  हैं आरज़ू -ए-अर्जुन

Hath me jabse khazane aa gaye.. Ghazal

आदाब हाथ   में  जब  से  ख़जाने आ  गए लोग  तो   हमको   मनाने  आ  गए यह  चोबारा  जब  हुआ ऊँचा  मेरा लोग   बस   बातें   बनाने  आ  गए छोड़   देता  तेरी  दुनिया को  खुदा फ़र्ज   मेरे   कुछ   पुराने  आ   गए मैं  कभी  रूठा था  तुमसे  ऐ  खुदा दर  पे  तेरे  सिर  झुकाने  आ  गए हो  गया जब खा़क जल के घर मेरा लोग  तब  घर  को  बचाने आ  गए बाद मुददत  के  हसा था खुल के मैं आज  फिर  वो दिल दुखाने आ गए ज़िंदगी  भर  दर्द  देकर खुश थे तुम मौत   पर  आंसू   बहाने   आ   गए आरज़ू   सुनता  रहा   है  तलखियां आप  भी  हमको   सुनाने  आ  गए आरज़ू -ए-अर्जुन

Har kadam per aaina ye to.... Ghazal

आदाब  ज़िंदगी  का  काम है  दर दर फिराएगी हमें हर कदम पर आईना  ये तो  दिखाएगी हमें गलतियां इंसान  की  होती गुरु  है  ऐ बशर  खेलना  हैं  खेल  कैसे  ये   सिखाएगी  हमें हम लड़े हैं आँधियों के काफिलों से भी यहाँ  यह डरी सी बिजलियाँ  कैसे  डराएगी हमें दिन कटा है बेखुदी में रात  काटी जाग कर दिल्लगी ये फलसफे कितने दिखाएगी हमें आज मुश्किल आ पड़ी तो ढूँढतें माँ बाप को पूछते  खाता  कहाँ  है  माँ   बताएगी  हमें ? भूख ऐसी चीज़ है जिसके लिए ज़िंदा जलें जल रहे हैं  और  कितना ये  जलाएगी  हमें  हम यहाँ पर चल रहें हैं मंज़िलों की चाह में देखना  तुम  वो  गले से  भी  लगाएगी  हमें चाहतें हैं 'आरज़ू ' हम  ज़िंदगी से और क्या  है नवाज़ा हौसला अब  क्या दिलाएगी हमें आरज़ू -ए-अर्जुन

Wagde panio lai jo suneha mera.. Punjabi poem

" Wagede panio" Wagde paanio, lai jo suneha mera, Aakhna us vichde kinaare nu.. Dil rounda ae mera, tainu kar kar yaad. Lubhda aye hussde nazaare nu. Ikko hi dharti te wagde si saare.. Kinne khichiya lakiran kinne mod ti muhaar.. Thandiyan havavan thand paindi c seene, Kinne feriyan si akkha kinne bhed laye c dwaar. Ki karan main ajj lai ke thande thande sahan nu.. Dil marda ae awaaja ajj punj dariyava nu... Wagde paniyo lai jo............. Saron de fullan to vakhre kapaah ne. Vagda ae raavi vakkh, vakhra chinaah ae. Samajh nahi aoundi eh kisda punjab ae Ik hissa ethe , duja oathe judaa ae Puchda hi rehnae ehna silliyan havava nu.. Dil marda ae awaaja ajj punj dariyava nu.. Wagde paanio lai jo suneha mera..... Aarzoo -e-Arjun

Zindgi to ufanti si mazdhar hai..

आदाब ज़िंदगी  तो उफ़नती  सी  मझधार  है हौसले  बिन  ये  कश्ति भी बेकार  है हैं  मुनव्वर  सी   राहें  मेरी हर  जगह दिल मुहब्बत में  जब  से गिरफ्तार है वो  मुहब्बत  की तहरीर लिखते नहीं देखते  जो   बशर  फूल  में  ख़ार  है चार   पैसे   बनी  ज़िंदगी  आज  की इसके  पीछे   पड़ा  आज  संसार  है मुफलिसों को  रूलाता सताता है जो वो  तो  इंसानियत  का  गुनहगार  है यह   मेरी  ज़िंदगी,  यह   मेरी  बंदगी देश    के    वास्ते ,   यार   तैयार   है चाहतों का जहाँ अब  फकत  है कहाँ दासतां ईश्क के ,  अब तो  दो चार हैं काम आया कभी जो  किसी  काम के सोचना 'आरज़ू '  अब  तू  गुलज़ार है आरज़ू -ए-अर्जुन

Bahka hun bahakne de.. Ghazal

आदाब गुलशन में मुहब्बत के फूलों को  महकने दे चाहत की फिज़ाओं में बहका हूँ बहकनें दे रोको  न   मुझे  यारो,  टोको  न  मुझे  यारो पीली  है  ज़रा  मैने,   बहला  हूँ  बहलने  दे महफ़िल  में  यहाँ  मैने,  देखें हैं सभी तन्हा होटों पे हसी फिर भी बिखरी है बिखरनें दे तड़पे हैं  यहाँ  हम भी  उल्फत में सनम मेरे मिलती है अगर राहत अर्जुन को तो मिलने दे आरज़ू -ए-अर्जुन

Mai uljhi zindgi suljha raha hun. Ghazal

आदाब अभी यह वक्त को बतला रहा हूँ मैं उल्झी ज़िंदगी  सुलझा  रहा हूँ मेरी  राहें  नहीं  आसान   हैं  अब यहाँ हर ख़ार को अपना  रहा  हूँ कभी आंधी कभी तूफां को झेला मगर  आगे  मैं  बढ़ता  जा रहा हूँ जहाँ पर गिर रही थी बिजलियाँ भी वहीं  पे आशियां  बुनता  रहा  हूँ यहाँ जो तलखियां  देते थे मुझको उन्हीं  को  आईना  करता  रहा हूँ चलाया  तीर  जिसने  दिल पे मेरे उसी   के   वास्ते  मरता   रहा  हूँ यकीं  कैसे  करूँ यारों  पे अब मैं यहाँ  धोखे  बहुत  खाता  रहा हूँ यहाँ पर धूप में  रोटी की  ख़ातिर सुबह से शाम  जलता जा रहा हूँ मुझे कुंदन अभी  तुम कह रहे हो मैं  बरसों आग  में  तपता रहा हूँ नहीं मैं सीख पाया दिल का सौदा तभी  तो 'आरज़ू ' छलता रहा  हूँ आरज़ू -ए-अर्जुन

Khoobsoorat badi Zindgi hai. Ghazal

आदाब 212 212 212 2 खूबसूरत  बड़ी  ज़िंदगी  है हौसले  के बिना  तीरगी  है है महज़ खेल ही ये सफर भी जीत भी हार  भी ज़िंदगी है अनसुना कर चलें जब ग़मों को तो  लगे  खूब  आवारगी  है हर कोई यार प्यासा यहाँ पे आरज़ू  की  यहाँ तिश्नगी है धूप  के  छांव  के  रास्तों पे मंज़िलें कर रही दिल्लगी है रूख़ से पर्दा हटा दो ज़रा तुम हमसे क्यों आज नाराज़गी है मर  रहे  हैं  सभी  दोलतों पे आग  कैसी यहाँ पर लगी है जान लो राज़ यह ख़ार बनके फूल में क्यों  बड़ी सादगी है भूख  से  मर  रहे लोग देखो ज़िंदगी,  मौत  बनने लगी है 'आरज़ू ' नासमझ सोचता है प्यार  ही आज भी  बंदगी है आरज़ू -ए-अर्जुन

Khuda ki kasam paas aane lagenge.. Ghazal

आदाब अगर साफ़ दिल वो दिखाने लगेंगे खुदा की कसम  पास आने लगेंगे कोई गर कहे ग़म,  नहीं ज़िंदगी में खुशी  से  सदा   मुस्कराने   लगेंगे सफ़ाई न  दो तुम ज़माने को यारो ज़माने को यह सब, फ़साने लगेंगे कोई  भूख  से मर रहा  है कहीं पे कहीं   दावतों  के  ख़जाने   लगेंगे बता दो मुझे किस जगह रब मिलेंगे तुम्हारी तरह  सिर  झुकानें  लगेंगे अगर काम के हो तो सिर पे बिठायें नहीं  तो  नज़र   से   गिराने  लगेंगे तुम्हारी वफा में हो शिद्दत अगर जो तो  आगोश  में  वो भी आने लगेंगे अगर  चार  पैसे   तेरी  जेब  में   हैं सभी  खा़ब  तुमको  सुहाने  लगेंगे ये लोगों को या रब हुआ आज क्या है कहीं पे भी सर  को  झुकाने  लगेंगे बिकी हर खबर आज अख़बार की है हकीकत  को वो क्यों बताने लगेंगे यहाँ आरज़ू  हर खुशी  है  मुनासिब मगर   ढूँढने    को    ज़माने   लगेंगे आरज़ू ए-अर्जुन

Aaine ke samne kyo ghabrate ho

नमस्कार गुणीजनों आईने  के सामने क्यों घबराते हो चेहरे  पे  चेहरा,  क्यों  लगाते  हो जानता  हूँ  आईने,  मैं अपने  एैब देखकर मुझको क्यों  मुस्काते हो आरज़ू

Maze leta hun mai bhi ashiqui ke.. Ghazal

आदाब हाज़रीन, नाज़रीन हुस्न  वाले  कहाँ  होते किसी के कभी  तेरी  कभी  मेरी  गली  के ज़रा सा दिल लगा  के देख लेना रहोगे काम के ना फिर किसी के सभी के सामने पड़ता है  हसना हुनर सीखो अभी तुम आशिक़ी के तुम्हें तकलीफ़  होगी  रौशनी  से सुकूँ  पहलू  में  होगा  तीरगी  के लहू   के   घूँट   भी   पीने   पड़ेगे अभी  दीवानें से हो  मयकशी के तेरी यह शादमानी कुछ पलों की सफ़र में तुम भी हो अब ज़िंदगी के जहाँ   देखो   वहाँ   आलूदगी   है दिवाने  अब  कहाँ  है  सादगी  के मुसलसल  दौर  ऐसा चल रहा  है बनें  हैं  दास  हम  टेकनाॅलजी के चलो  छोड़ो  झमेले यार  सब यह यहाँ  लूटो  मज़े  तुम  ज़िंदगी  के डराता  मैं  नहीं   यह 'आरज़ू '  है मज़े  लेता हूँ   मैं भी  आश़िकी के आरज़ू -ए-अर्जुन

Ashq yun hi bahane se... Ghazal

आदाब अश्क़  यूँ  ही  बहाने से  क्या फायदा दिल खुदी का जलाने से क्या फायदा कर मुहब्बत का इज़हार खुल के ज़रा प्यार दिल में  छुपाने  से क्या फा़यदा तीरगी. ना  मिटे  जब  दिलों  से यहाँ हाथ  यूँ  ही  मिलाने  से  क्या फायदा शेर   तेरे  सभी  आज   उलझे  से  हैं धुन  कोई  गुनगुनाने  से क्या फायदा बात  दिल  की तेरी जब ज़ुबाँ पे नहीं होंट  के   थरथराने  से  क्या  फायदा ज़िंदगी  में   तेरी  जब  सुकूँ  ही नहीं तो  करोड़ों  कमाने  से  क्या  फायदा जब पता ही न हो चल रहें किस तरफ फिर कदम को बढ़ाने से क्या फायदा दो  कदम  साथ  में  चल सके  ना तेरे यार  ऐसा  बनाने   से   क्या  फायदा जिस्म की भूख है  हर तरफ हर जगह गंदगी  यूँ   फैलाने   से  क्या  फायदा आरज़ू  चल  यहाँ  से सफ़र पे निकल पैर  को   डगमगाने  से  क्या  फायदा आरज़ू -ए-अर्जुन

Follow your dreams

"Follow your dreams" If you are determined Nobody can stop you, If you are focused Nobody can drop you, So,  follow your dream Success follows you. Your life is worthless Without  the aim, If you left unknown It would truly a shame, Face the challenges On the field of game . Remember here one thing You come alone, Truth is that here You will go alone, Face alone everything Fire, wind, water, cyclone . Later or sooner here Everybody would die, Achieves only those Who always dare to try, Your extreme efforts Would take you up to high. Let make your style A unique signature, Let Make your deeds To your miniature, Do something such as, Becomes other future Aarzoo E Arjun