Skip to main content

Posts

Showing posts from August, 2015

( वाकया )आज ज़िंदगी से मुलाकात हो गई

आज ज़िंदगी से मुलाकात हो गई वाकया एक दो नहीं, तीन चार मेरे सामने आये हर वाकया ज़िंदगी के सच को लिए आईने की तरह मेरे सामने खड़ा था                     1.  भटके से राहों पे कहीं चल रहे थे मैंने देखा एक बूढ़ा लाचार सा आदमी कहीं सड़क पर खड़ा था मैली मटमैली धोती उसकी कई जगह से उसका कुर्ता फटा था हाथ और पाँव की नसें फूलती लाठी को पकडे जब चलता था आँखों की झुर्रियां और सिकुड़ती जब भी तेज़ हवा थी चलती आँखों का चश्मा था धुंदला बार बार साफ़ उसे करता था मैंने पूछा," बाबा" इतनी दोपहर गए किधर आये हो कहा," बेटा" उस पेड़ के पास जाऊंगा बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पावों को लम्बा किया। लाठी को बगल में रख कर चश्मे को धोती से साफ किया  . बढ़ी उत्सुकता मेरी पूछा मैंने "बाबा" "बस का इंतज़ार कर रहे हो" . कहा हसकर," नहीं बस यूँ ही यहाँ बैठा हूँ." फिर पूछा मैंने," क्या थक गए हो बाबा"  बोले नहीं," मैं रोज़ यहाँ पर बैठता हूँ"  फिर अधीर होके पूछा मैंने," क्या कोई आने वाला है"  बोले नहीं रे बाबा," कोई नहीं आने वाल

" ये खिड़कियाँ ये दरवाज़े "

" ये खिड़कियाँ ये दरवाज़े " दोस्त की तरह होते है ये खिड़कियां और ये दरवाज़े ये घर को रौशनी और हवा ही नहीं देते बल्कि आँधी तूफ़ान, और बरसात से भी हिफाज़त करते है ज़िंदगी के कई हसीन पहलू हम अक्सर इन खिड़कियों से झाँका करते है और कुछ अनछुए पहलू भी इन्हीं झरोखों से नज़र आते है ये दरवाज़े बंद कमरे के अंदर न जाने कितने राज़ अपने लबों तक समेट के रखते है हमारे हर राज़ के हमराज़ है ये दरवाजे दर्द को छुपाना हो तो ये अपने आँख और कान बंद कर लेते है और ख़ुशी को जताना हो तो ये अपना दिल खोल देते है हमारी एक एक आदत को जानते है ये दरवाजे फिर भी खामोश अपनी जगह पर हमारे इशारे का इंतज़ार करते है बिस्तर और तकिये पे सूखे आंसुओं को पहचानते है किसी के ख्वाब में उलझे रहने का सबब जानते है ये दरवाजे इनकी सिटकनी और कुण्डी भी खूब अजीब होती है किसी से रूठ कर छुपना हो तो धीरे से सिटकनी लगा दो खुद से रूठ कर छुपना हो तो कुण्डी लगा दो इनके खुलने और बंद होने के अंदाज़ भी किनते अलग होते है न ख़ुशी से खोलो तो झूमती हुई खुल जाती है और कहीं दुःख से खोले तो  इनके खुलने में भी दर्द सुनाई देता है

" फासला "

" फासला " चंद फासले दूर हूँ मंजिल से मैं न जाने क्यों अब बेमायने सा लग रहा है जब चला था बड़ी उमंग थी, जोश था क़दमों में इतनी ताकत थी कि दिन रात चला था मैं आँखों में इतनी चाहत थी कि कई रातों से जगा था मैं हां थका तो नहीं हूँ पर थका सा लग रहा है   एक अरसा गुजर गया है मैंने अपने बाल नहीं सँवारे आइना नहीं देखा गुनगुनाना सा भूल गया हूँ मैं अब दिल नहीं धड़कता वो तस्सवर में बातें याद करके कई नए रिश्ते बन गए है मेरे फिर भी क्यों अपना सा नहीं लग रहा है इस सफर को कहाँ से शुरू किया था कितने मोड़ मुड़े होंगे ठीक से याद तो नहीं बस इतना कि अब वो मोड़ कहीं खो गए है वो रेशमी सा साया कहीं छूट गया है वो मखमली सी ममता ओझल है कहीं अब कोई डांटता नहीं मुझे कानो से पकड़ के अकेला तो नहीं हूँ पर अकेलापन सा लग रहा है बड़ी मुश्किल है इन चार क़दमों के फासले को तैय करना हर कदम पर एक खाई जितना सवाल खड़ा है मुझे कदम भी बढ़ाना है और ये खाई भी भरनी है मगर कैसे? बड़ी मुश्किल है यहाँ मुड़ के देखूं तो करीब कोई नहीं मिलता सामने देखूं तो मंजिल हस रही है मुझपे  क्या समझूँ मैं ? कि कामयाब हो

" बेइंतहां प्यार "

" बेइंतहां प्यार " एक अंजाना डर सा लगा रहता है ये दिल बड़ा बेसबर सा रहता है बड़ी बेचैनी सी  रहती है तुम्हे सोच कर सब कुछ जानकर भी बड़ा बेखबर सा रहता है तेरे आसपास रहती है मेरी मुकम्मल दुनिया तेरे बग़ैर हर एहसास बेअसर सा रहता है कहाँ छुपाऊँ तुझे इस जहाँ की नज़र से तू मेरी आँखों में यूँ नज़र सा रहता है ये जानता भी है के बहुत रुसवाई होगी फिर भी नादान दिल न समझ सा रहता है कितने लाजमी बन गए हो तुम जीने के लिए तेरे पहलू में दिल शामो-सहर सा रहता है बेइंतहा चाहत है इस दिल में आरज़ू इसलिए खुद की नज़र से भी दिल,  डरा डरा सा  रहता है। आरज़ू-ए -अर्जुन 

OH BABY STAND BY ME

listen! oh baby! i gonna get you my heart you know it hasn't two parts look and find there have any place where you don't live? oh baby! you are i just want oh baby, stand by me the spell bound smell in the air the magical feeling spread everywhere a strong hidden light dazzle me alone who is soothing and handle with care yeah! its you, oh baby! stand by me a silk cozy subconscious mind a numerous thoughts being automatically bind what a feeling! giving me immense pleasure i don't bother they say, love is blind oh muse! oh baby! stand by me world call me to indulge in the world but i spiritually in you being merge i don't know how to overcome in all that but this love is solemn, pure and purge my world in you oh baby stand by me   this compound will never be separated some other feelings will never be generated by this way we ll love till the end oh world! our deep love will never be mutilated our psyche is pure, oh baby! stand by me .

ये चाहत तेरी है या मेरी है

( ये चाहत तेरी है या मेरी है ) बहुत अधूरा सा है चाँद फलक पर बड़ी अधूरी सी है चांदनी तारे मुँह छुपा के खड़े है शायद कहीं रात के इस सन्नाटे में कोई सदा भी नहीं फिर एक सरसराहट और कदमों की आहट  सोचता हूँ ये आहट तेरी है या मेरी  बेइरादे ये कदम चल पड़ते है बस यूँ ही रास्तों से कभी गुफ्तुगू होती है तो कभी मुँह फेरे खड़े से नज़र आते है हम दोनों सोचता हूँ ये नाराज़गी तेरी है या मेरी  कितनी जिरह होती है दिल से मेरी कितनी बार धड़कनें रूठ जाती है मुझसे अजीब कशमकश में होती है ये धड़कनें  सोचता हूँ ये बेचैनी तेरी है या मेरी  कोई नाराजगी नहीं है लम्हातों से मेरी  पर कोई आँखों में देख कर बात नहीं करता जाने क्यों सिर झुकाये आँख चुराए खड़े है सब सोचता हूँ ये बेरुखी तेरी है या मेरी  मैं हसता भी हूँ दिल से मैं रोता भी हूँ दिल से फिर भी कुछ बनावटी सा लगता है क्यों मेरी आँखे लबों का साथ नहीं देती और मुस्कान चेहरे का सोचता हूँ ये अजीब सी ख़ुशी तेरी है या मेरी लोग कहते  है चाहत दिल से होती है शायद मुझे लगता है ये दिमाग से होती है शायद मेरी अक्सर दिल से बातें होती है मगर दिमाग कमी पेश

( किस्मत का खेल )

( किस्मत का खेल ) ये किस्मत और इससे जुडी बातें बड़ी अजीब सी होती है और सितारों का खेल भी बड़ा अजीब सा होता है तुम खेलो न खेलो मगर ये तुमसे खेलती है . बड़ी अजीब सी बात है कोई दिलचस्पी ले न ले, इसे बड़ी दिलचस्पी रहती है हममें।  खुद ही इस खेल के कायदे कानून बनाता है खुद ही तोड़ता है .खेल को दिलचस्प बनाने के लिए कुछ खुशियों के पासे हमारी तरफ फेंकता है। हम खुशियों में उलझ जाते है, खो जाते है लगता है किस्मत मेहरबान है हमपर मगर दिल भर जाता है उसका तो दूसरा पासा फेंकता है दुःख का दर्द का. ये सुख दुःख का खेल उसका इसके कायदे क़ानून उसके तो भला वो हार कैसे सकता है हमें रोता बिलखता देख कर शायद इस हेर फेर में उसे बड़ा मज़ा आता है अलग अलग चेहरे के हाव भाव उसे देखने को मिलते होंगे शायद.  किसी बच्चे को रेलगाड़ी के खिलोने के साथ खेलते तो देखा होगा उसका मन होता है तो वो गाड़ी को बार बार पटरी पे चक्कर लगवाता है कभी पटरी खोल के उसे आडा तिरशा जोड़ देता है कभी पटरी के आगे अपनी ऊँगली रख के गाडी को गुजरने से रोकता है ऐसे वो इसलिए करता है तांकि उसकी दिलचस्पी बनी रहे नहीं तो वो जल्दी रेलगाड़ी

( I will be there for you.)

( I will be there for you.) whenever your heart do sound more whenever your breathe frequently broke whenever you find deep dark  whenever you find too far just close your eyes and i ll be there for you   Time can be change by time to time condition can be ordinary or prime when you want to speak but quite just call me in your heart and i ll be there for you nobody can steel that moments nobody can feel that moments we are blessed with strong love our love is divine and all above just feel the love in your soul and i ll be there for you.   don't feel we can be separated don't think we no longer be integrated  you know we are water we are air we are universe, we everywhere you rest assured, i ll with you and i ll be there for you   oh muse! never brim your eyes oh muse! never try to cry i will be shattered to see it i request to you never free it  just keep a smile on your lips and i ll be there for you .   

" ढलता सूरज "

" ढलता सूरज "  राज छत पर बैठा सूरज को ढलता हुआ देख रहा था. सूरज धीरे धीरे अपनी लाली को उस क्षितिज पे बिखेरता कहीं छुप रहा था. राज सूरज की आँखों में आँखें डाल कर शायद यह सोच रहा था के जिंदगी कि इस चकाचौंध रौशनी को एक समय पे मंद होना होता है या अँधेरे में खोना होता है. यह सूरज रोज़ एक नया सवेरा लाता है इसकी पहली किरण अल्हड और कमसिन सी होती है दूसरे पहर में यह प्रचंड जवान सी और तीसरे पहर में यह किसी बूढ़े अनुभवी कि तरह एक सन्देश सुनाता हुआ छुप जाता है . राज का मन अतीत के समंदर में कही गोते लगा रहा था उसकी साँसे थमी हुई सी चल रही थी दिल में उस समंदर कि मौजे बार बार उठ रही थी जिसे वो हर आती जाती सांस में समां के शांत कर रहा था. उसकी आँखे ढलते सूरज पे जड़ थी पलके आँखों पे ठहरी हुई इशारे का इंतज़ार कर रही थी और धड़कन जैसे एक के बाद एक सवाल पे सवाल कर रही थी मगर उसके जवाब शायद दिल के किसी कोने में दफ़न थे या अँधेरे में कहीं छिप गए थे, वो शांत कुर्सी पे बैठा उन सवालों के उलझनो पे उलझा हुआ सूरज की अंतिम लाली को काली होते देख रहा था धीरे धीरे हर लाली रात के अँधेरे से लिपट गयी अब ब

" न रुकना कभी न थकना कभी "

" न रुकना कभी न थकना कभी " इस जहाँ में कौन नहीं, जो परेशान है  है कोई ऐसा, जिसकी राहें आसान है किसी को कम तो किसी को ज्यादा सहना पड़ता है ज़िंदगी जो दे, जैसे रखे, रहना पड़ता है है कदम ज़िंदा तो राहों का निर्माण कर है बाज़ुओं में दम तो मुश्किलों को आसान कर है हौंसला, तो एक लम्बी उड़ान कर है नज़र तो सच की पहचान कर मत सुना ज़िंदगी को मैं थक गया हूँ राह में और बोझिल लगेगी ये  ज़िंदगी इस राह में मत सूखने दे ये पानी अपनी ख्वाबमयी आँखों में सजा तू तमाम सपने जो छुप गए है कहीं रातों में जब रूठ जाए ये चाँद,सितारे और सूरज भी तुमसे मत होना अधीर और एक वादा करना खुद से तू रुक गया तो इन्सां नहीं तू झुक गया तो इन्सां नहीं न थकना कभी न रुकना कभी, कर खुद से बातें पर चुप रह न कभी क्या पता अगले मोड़ पे मंजिल खड़ी हो किसे खबर तेरे क़दमों तले खुशियां पड़ी हों कर नज़र ज़बर और सबर को मज़बूत तुम किसे पता कल तेरे आगे दुनिया झुकी हो . (आरज़ू ) AARZOO-E-ARJUN

" ऐ नदी मुझ प्यासे की तू प्यास बुझा जा कभी "

" ऐ नदी मुझ प्यासे की तू प्यास बुझा जा कभी "  ऐ नदी मुझ प्यासे की तू प्यास बुझा जा कभी सीने में तेरे उत्तर जाऊं मैं जितना भी डूबूँ उभर जाऊं मैं तुझसे मिले, मुझको गिले, और मिले ज़िंदगी ऐ नदी मुझ प्यासे की तू प्यास बुझा जा कभी सुलगे सुलगे से है अरमां मेरे धुआं धुआं से है सपने मेरे तू मेरी जाँ  ज़िंदगानी है तुझसे शुरू हर कहानी है तू ही मेरी, पहली ख़ुशी, तू ही मेरी आखरी  ऐ नदी मुझ प्यासे की तू प्यास बुझा जा कभी तेरी ही बाहों में आकर मुझे मिलता सुकून आशिकी का मुझे तुझमे ही धड़कन समाई है तू ही खुदा तू खुदाई है तू ही नशा, तू कहकशा, तू ही मेरी आशिकी ऐ नदी मुझ प्यासे की तू प्यास बुझा जा कभी ( आरज़ू )  aarzoo-e-arjun

" है शत शत बार प्रणाम तुझे माँ "

" है शत शत  बार प्रणाम तुझे माँ "  जो शब्द था पहला बोला मैंने वो शब्द था पहला बोला "माँ" जो ऊँगली पहली थामी मैंने वो ऊँगली थी पहली तेरी "माँ" तेरे सीने लग कर बड़ा हुआ, तूने अमृत से सींचा हैं माँ है सबर सबूरी दिल में कितनी कितनी ममता आँखों में, तेरे कितने अरमाँ दिन में खोये  कितने सपने रातों में, तेरी थपकी लेकर सो जाता था और खो जाता था बातों में। मैं कुछ भी बन जाऊँ दुनिया में तेरे दूध का क़र्ज़ चुका नहीं सकता हर रात सजा दूँ खुशियों से पर उन रातों को ला नहीं सकता। जो आँखों आँखों में गुज़रे थे वो लम्हें लौटा नहीं सकता। कर देना माफ़ गर खता हो जाए तुम ममता की इक मूरत हो उस जग जननी को देखा नहीं  तुम उस जननी की सूरत हो। है शत शत बार प्रणाम तुझे माँ, तुम इस सृष्टि की पूरक हो है कोटि कोटि प्रणाम तुझे माँ तुम इस सृष्टि की पूरक हो। ( आरज़ू ) aarzoo-e-arjun