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Showing posts from February, 2016

चंद अशआर आरज़ू की कलम से

चंद अशआर आरज़ू की कलम से  ---------------------------------------- अभी ज़िंदा हो तो जीना जरूरी है ज़िंदगी जो भी दे पीना जरूरी है कब तक शिकवा करोगे खुदा से आरज़ू सीने के जख्म को खुद ही सीना जरूरी है   ----------------------------------------- खूब जी रहा हूँ इस ज़िंदगी का साथ पाकर है मुझी से अब तक लड़ रही ये जिन्दगी ----------------------------------------- कहाँ पर सीख रहा हूँ लहरों से लड़ने का हुनर टूटी कश्ती संग बीच मझधार फसी है ये ज़िंदगी ------------------------------------------ है साज़ भी राग भी दर्द भी आवाज़ भी  ये ज़िंदगी हररोज़ गीत नया गाती रही ------------------------------------------ मैं किस्मत को हराने की धुन में लगा रहा और किस्मत मुझे देख कर मुस्कुराती रही ------------------------------------------- हमने तो अपनी रूह भी सौंप दी थी तुम्हें बस एक तू था जो कभी मेरा हो न सका ------------------------------------------- किस्मत तो मेरी मेरे हाथों में ही छुपी थी मैं खामखा ताउम्र लकीरों में उलझा रहा ------------------------------------------- है आरज़ू फ़कीर

" दीवानगी "

" दीवानगी " मैं सुलझे हुए आधुनिक लोगों का प्यार नहीं हूँ मैं उस अनपढ़ लड़के के प्यार का एहसास हूँ जो गीली रेत पर अपने महबूब का नाम यूँही आड़ा तिरछा ऊट पटांग सा लिखा करता है ।  मैं सजी हुई आवाज़ और अलफ़ाज़ का मोहताज़  भी नहीं हूँ ,मैं तो उस गूंगे की आवाज़ सा हूँ  जो आँखों और हाथों से दिल के हाल कहा करता है।  नहीं जगमगाता मैं सैंकड़ों जुगनुओं की तरह रात में मैं तो वो परवाना हूँ जो तेरे प्यार की रौशनी में गुमनाम सा जला करता है गुमनाम मरा करता है ।  जहाँ भर की दौलत शोहरत भी कहाँ सुकून देती है  दिलजलो को  इस जहाँ में भी हमनशीं  मैं तो वो दीवाना हूँ जो महबूब के प्यार में पागल  महबूब की याद में  हर हाल में मस्त बना रहता है।  मैं वो आशिक़ भी नहीं जो मोहब्बत में मक़बूल होने के लिए पत्थर खाते है सहरा में जलते है मैं तो वो आशिक़ हूँ आरज़ू जो अपनों की ख़ातिर हरपल, हरदिन, हररात सलीब पे चढ़ा करता है।  आरज़ू-ए-अर्जुन       

ख्वाबों का परिंदा

ख्वाबों का परिंदा मैं ख्वाबों का परिंदा हूँ बेपरवाज़ सा उड़ता हूँ सिंदूरी दिन मिले यां नीली सी रात यादों का लम्बा सफ़र यां चंद से वो लम्हात अनसोई सी निगाहों से उन यादों को चुगता हूँ । हवा में लहराता हुआ झूमता सा गाता हुआ अब्र को पीकर सब्र को खाकर फिर चैन से कभी अपनी धड़कन सुनता हूँ । है मंजिल वहीं तक जहाँ तेरा ठिकाना जहाँ खो जाऊँ तुझमें बस वहीं तक है जाना धरा पे रहूँ या नभ में मैं तेरा प्यार बुनता हूँ मैं ख्वाबों का परिंदा हूँ बेपरवाज़ सा उड़ता हूँ आरज़ू -ए-अर्जुन

तनहाई

तनहाई हवा में भीनीं सी खुशबू तो है मगर वो फिज़ा नहीं है शायद ये हवायें मुझसे वाकिफ नहीं है बड़े अजनबी से लगते हैं ये झोंके । वही रात वही चांद वही चांदनी मगर आंखें विरान सी है शायद अब चांद दरारनुमा सा लगता है चांदनी छिल देती है जिस्त को । ये राहों की आवारगी और मंजिल का सफर तन्हा सा है अब कंधे नाराज़ से हैं मेरे और ये कदम ठहर से गए हैं शायद । ये वक्त जो रूकता ही नहीं कहीं, मैं ठहरा हूँ आज भी उसी पल में जहाँ छोड़ आया था तुझे एकदिन इस वक्त के हाथों मज़बूर होकर । आरज़ू -ए-अर्जुन

आखिर क्यों

आखिर क्यों  क्यों खेलती है किस्मत बारह हमसे मैं पूछता हूँ तुमसे आखिर क्यों जब भी मौका मिला मुस्कुराने का तू छीन लेता है मुस्कान आख़िर क्यों दिए हैं इम्तिहान मैंने भी औरों की तरह मेरा ही नतीजा रह जाता है आखिर क्यों की बेपनाह मोहब्बत ग़र किसी से मैंने कर दिया जुदा उसे भी आखिर क्यों हर दुआ में मांगी थोड़ी सी मौत मैंने तू देता है थोड़ी ज़िंदगी आख़िर क्यों आरज़ू-ए-अर्जुन  

"वाह री बहार " कटाक्ष

"वाह री बहार " एक एक करके सब झड़ी फूल पत्तियाँ सूनी सूनी सी तब रह गई थी टहनियाँ काल के कंकाल सा दिखता था वो पेड़ किसी गहरे राज़ सा दिखता था वो पेड़ घौंसले भी हो गए शायद तिनका तिनका पहचान कर ले उड़े, था जिनका जिनका एक एक करके सबने छोड़ा साथ उसका फिर भी खड़ा रहा वो करके सर को ऊँचा लो होकर शर्मिंदा फिर से लौटी  है बहार सजा रही है फूल-पत्ति टहनियां बेशुमार मगर हस रहा है पेड़ देखकर झूठा प्यार पतझड़ी कंधों पर होकर आई है सवार वाह री वाह बसंत वाह री वाह ओ बहार     आरज़ू-ए-अर्जुन 

"मेरी चाहत" shayri

            "मेरी चाहत"  मैं लय बन जाऊँ तेरे साँसों की तेरे इतना करीब आना चाहता हूँ। तेरे लबों पे बिखर जाऊँ ख़ुशी बनके मैं इस कदर मुस्कुराना चाहता हूँ। तेरे हर आँसूं को रोक लूँ होटों पे तेरा हर दर्द पी जाना चाहता हूँ। तू देखे जिस ख़्वाब को ता उम्र मैं वो ख़्वाब बन जाना चाहता हूँ। मुझे समा लो तुम अपनी आँखों में मैं अब वहाँ बस जाना चाहता हूँ। जो ख़ुश्बू महकाती है तेरे बदन को मैं वो खुशबू बन जाना चाहता हूँ। तेरी जुबाँ से जो भी शब्द निकलें मैं उनका हर्फ़ हो जाना चाहता हूँ। तू बिछड़े अगर तो लड़ पडूँ ख़ुदा से संग तेरे हर लम्हा जीना चाहता हूँ। तू संग मेरे तो जन्नत की परवाह नहीं तेरे संग लिपट के मर जाना चाहता हूँ। गर मिला ख़ुदा तो यही कहूँगा उसे मैं हर जनम में तुझे पाना चाहता हूँ। आरज़ू-ए-अर्जुन 

(चंद अशआर )

बह्र -1222 1222 122 (चंद अशआर ) अभी रोको न साक़ी पीने दो जाम अभी तलक वो दिख रहा है मुझे हर कोशिश करके देख ली है मैंने इतनी गुज़ारिश है के भुला दे उसे कभी टूटा है शीशाये दिल मेरा कभी रूह ज़िस्म से जुदा हुई जबसे छोड़ा है दामन उसने फिर न शाम ढली न सुबह हुई अदा तो किए रस्में उल्फ़त हमने पर भूल गए थे हम अदाकारी को उसके झूठे अश्कों ने जीता आलम और रौंद डाला मेरी वफ़ादारी को नहीं काबिल था तेरे प्यार के मैं तो क्यों खेलती रही जज़्बातों से दिल बहलाने के लिए तो आरज़ू और भी हसीं बहाने थे दुनिया में आरज़ू       

चले भी आओ अब तन्हाँ रहा जाता नहीं है

ग़ज़ल चले भी आओ अब तन्हाँ  रहा जाता  नहीं है बिना तेरे मेरे दिल को  करार आता  नहीं है जहाँ देखूँ तुम्हें देखूँ तुम्हीं तुम हो सनम  मेरे कहाँ बोलूँ मेरे दिलबर जहाँ दिखता तू नहीं है ये रातें भी ये दिन मेरे बुलाते हैं मुझे हँसके हवाओं को फ़िज़ाओं को कहूँ अब क्या तू नहीं है है उलझी सी मेरी धड़कन ख़ुदी से हो रही बातें ये दिल मेरा मुझी से अब है कह रहा तू कहीं है इन होटों पे ख़ामोशी है तबस्सुम भी ज़रा चुप है सभी शामिल हैं महफ़िल में कोई दिखता क्यों नहीं है अभी सांसे हैं कुछ बाकी वोपल ठहरा है सीने में ज़रा जल्दी से आओ अब ये पल रुकता नहीं है आरज़ू-ए-अर्जुन

ग़ज़ल (मत छेड़ मुझे आईनें मेरे)

ग़ज़ल बहर 222 22 222 22 मत छेड़ मुझे आईनें मेरे बेदर्द न बन आईने मेरे हाल-ए-दिल जानता भी है क्यों पूछता है शिकवे मेरे टूट कर देख एक बार ज़रा फिर गिनना ये टुकडे मेरे आहिस्ता रख़ हाथ दिल पे ज़ख़्म हैं अभी गहरे मेरे राज़े उल्फत को बताऊँ कैसे दुश्मन हैं यहाँ कितने मेरे रोक लेते सच कह कर उन्हें शायद नहीं था ये बसमें मेरे Aarzoo-e-Arjun 

प्रेम गीत 

प्रेम गीत 22 22 22 22 आओ फिर से वो काम करें दिल की दुनिया में नाम करें आ तुझे बना दूँ राधा मैं और खुद को कान्हा शाम करें तेरी आँखें हों एक मयख़ाना मेरी आँखें हों एक पैमाना मदहोश सा हो जाए हर लम्हा हर नज़र को नज़र-ए-जाम करें हो गरज़ किसी की न बाकी मुझको संभालो ना साकी मैं बहक जाऊँ तो बहकनें दो लोगों में चर्चा आम करें चल हाथ पकड़कर साथ चलें अबके बिरह में न जलें ये दिल और ये धडकन भी चल एक दूजे के नाम करें इस आरज़ू का कल क्या पता रहेगा भी कोई नामों निशान आ कर गुजरें कुछ ऐसा हम पूरी दुनिया हमको याद करे आरज़ू

ग़ज़ल (मेरे दिल की ज़मीन पे फिर से कदम रख दो न )

 ग़ज़ल  मेरे दिल की ज़मीन पे फिर से कदम रख दो न उस अधूरी सी बात को अबतो ख़तम कर दो न हल्का हल्का सा नशा रहने दो न ऐ हुज़ूर ख़ाली पैमानों सी हसरतें फिर से उन्हें भर दो न शम -ए -रौशन तो करे महफ़िल को तेरी ख़ुद अँधेरे में है बुझ रही, रौशन उसे कर दो न दो क़दम हम हैं चले एक क़दम तुम भी चलो फ़ासला सिर्फ़ एक कदम इसको सनम भर दो न कौन जीता है यहाँ इस मोहब्बत के बिना आरज़ू-ए-अर्जुन को अब तो फ़नाह कर दो न   आरज़ू-ए-अर्जुन

"अब ये दिल धड़कता नहीं है"

"अब ये दिल धड़कता नहीं है" वो खिड़की बंद सी रहती है शायद अब कोई उसे खोलता नहीं है एक रौशनी बहती सी रहती है उनके शीशों से बाहर तक उस लोहे की जाली से छनकर गली में बह जाती है। अब मेरी धड़कने काबू में तो है पर ये दिल ग़मज़दा है जाने क्यों। बड़ा सुकून मिलता था दिल को जब वो खिड़की काली सी दिखती थी वो झांकती थी खिड़की से बत्तियाँ बुझाकर मुझको। ख़बर हो जाती थी वो सामने कहीं है। पर आज रौशन तो है वो खिड़की पर वो दिलकश अँधेरा नहीं है अब वो खिड़की के पीछे नहीं है अब वो शायद कहीं नहीं है अब ये दिल धड़कता नहीं है आरज़ू-ए-अर्जुन

love poem " silver grey night and sky

SILVER GREY NIGHT AND SKY... The silver grey night and sky amazing twinkling like fire fly a strong wind makes me shiver touching wave get me quiver and long awaited my hold sigh oh! thy walks two steps ahead a countless whirl in my head sound less audible than my heart beat thou unmatched beauty that eyes treat and that magical words are to be said thy dark hair floating in the air her blushing face and unknown fear drive me crazy her side wisp moon pouring shine on her glossy lips and a thought that nobody is there i can hear what is unspoken i can feel going to be broken oh! what happened! thy hold my hand isolated me, now tied in a strand and that healing touch a love of token oh god! love is an earthly boon creatures get it late and soon world so beautiful if one have only love is truth and else crab and feel divine light, like sun and moon ( aarzoo )

"बस तू ही तू है "

"बस तू ही तू है " न जाने ऐसा क्यों है मेरी हर आह में मेरी हर चाह में मेरी हर राह में बस तू ही तू है। हूँ तुझसे मैं बेख़बर बेसबर, बेनज़र फिर भी इस निगाह में दिल की जुबां में मेरे नामो-निशाँ में बस तू ही तू है। तू है दूर या मज़बूर या मगरूर मालूम नहीं पर इश्क़ के गुमान में मोहब्बत के आसमान में मेरे इस जहान में बस तू ही तू है मैं अधूरा सा हूँ तेरे बिन ऐ हमनशीं पर मेरे कारवाँ में मेरे बागबाँ में मेरे गुलसिताँ में बस तू ही तू है आरज़ू-ए-अर्जुन

अंजान सा हूँ मैं

          अंजान सा हूँ मैं वो कौन सी बात है दिल में जो छुपी सी है जो रुकी सी है जो ख़ामोश सी है, जिससे अंजान सा हूँ मै। क्यों ये लब मज़बूर से जड़ है जो थरथराते भी नहीं इन सांसों पे कौन सा क़र्ज़ है जो सरसराते भी नहीं बस बेरुखी से चुपचाप से चलती हैं गुज़रती हैं। कोई तो है जो देखता है मेरी इन आँखों से पर छुपा सा रहता है उनमें कहीं। कोई तो है जिसने  रोक रखा है आबोशार को जो रूठा सा रहता है उनमें कहीं। खुदी में अकेला सा रहता हूँ खुदी को सहता रहता हूँ मैं चीख़ना चाहता हूँ चिल्लाना चाहता हूँ जी भरके रोना चाहता हूँ मुस्कुराना चाहता हूँ पर अपनी ही रूह से बिछड़ गया हूँ शायद जिसके बिना कितना बेजान सा हूँ मैं। वो कौन सी बात है दिल में  जिससे, अंजान सा हूँ मै। आरज़ू-ए-अर्जुन

ग़ज़ल उलझे हुए हमको तो ये ज़ज़्बात मिले है

                       ग़ज़ल               ( रदीफ़ " मिले हैं )           2221, 222, 2221, 222 उलझे हुए हमको तो ये ज़ज़्बात मिले है तेरे इश्क़ में हमको तो ये एहसास मिले है मदमस्त तेरी आँखें क़ातिल भी कभी होंगी आँखों से मेरे दिल को ज़ख़्म ख़ास मिले है बेचैन से रहते हो बेताब भी होते हो हमको भी तेरे हमदम कुछ राज़ मिले है ऐसा भी तो होता है मोहब्बत के रास्तों पे दिल तोड़ते वही हैं जो हमराह मिले है बातों से मेरी जाना हो जाओगे तुम पागल आरज़ू-ए-अर्जुन को वो अल्फ़ाज़ मिले है आरज़ू-ए-अर्जुन

"मैं मुस्कुराता रहा "

"मैं मुस्कुराता रहा "  आज उसी जगह बैठ कर अपने दिल को कितना समझाता रहा। फिर तेरी हर याद को याद करके नम आँखों से मुस्कुराता रहा।  उन फूल कलियों ने पूछा मुझसे यूँ मुस्कुराने का सबब, 'बहुत खुश हूँ यार ' उन सबको यही बताता रहा। मैं जानता था के वो जानते है मेरे दिल का हाल वो भी चुप रहे और मैं भी छुपाता रहा। आदतन उतना ही वक़्त गुज़ारा उनके साथ मैंने, फिर कह के अलविदा उनको अपनी राहों पे जाता रहा। पूरी राह बस यूँ ही मुस्कुराता रहा... आरज़ू -ए- अर्जुन

राज़े दिल करूँ बयाँ ( geet )

  " राज़े दिल " राज़े दिल करूँ बयाँ यां कोई दास्ताँ कैसे बताऊँ किस तरह धड़कन में समाई हो ज़िंदगी में तुम्ही मेरे दिल में तुम्ही मेरी सांसो में भी तुम हो छुपता ही नहीं आँखों से कभी होती है ये दिल ज़ुबान देखे जो कोई दिखते ही नहीं फिर भी होते हैं इनके निशान कैसे मैं कहूँ और किस तरह मेरी तुम खुदाई हो। ज़िंदगी में तुम्ही मेरे दिल में तुम्ही मेरी सांसो में भी तुम हो थाम लो इस तरह के जुदा फिर न हो रूह में रूह मिल जाये ज़र्रे ज़र्रे में हो हम समाये हुए आसमां भी ये हिल जाए टूटकर हम मिले कुछ इस तरह आखरी जैसे लम्हा हो। ज़िंदगी में तुम्ही मेरे दिल में तुम्ही मेरी सांसो में भी तुम हो Aarzoo-e-Arjun