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Showing posts from March, 2017

चले आओ कहाँ हो आरज़ू तुम

आदाब तुम्हारे  बिन  रहा  जाता नहीं  है सिवा  तेरे  कोई   भाता  नहीं  है सुनो यारा  सभी के  सामने अब जबरदस्ती  हसा  जाता  नहीं  है ज़रा सी बात थी लड़कर गए हो मनाऊँ  किस  तरह  आता  नहीं तुम्हारी  बेरुखी  हर पल सताये कहीं भी चैन  दिल पाता नहीं है मेरी पलकों पे ठहरा है वो लम्हा है ठहरा क्यों गुज़र जाता नहीं है सितम किस किस तरह से अंजुमन में सितमगर मुझपे तू ढ़ाता नहीं है चले  आओ  कहाँ  हो 'आरज़ू' तुम ये तन्हा दिल संभल पाता नहीं है आरज़ू -ए-अर्जुन

मैं सफर पे जब रवाना हो गया

आदाब मैं सफ़र पे जब  रवाना हो गया सारे जग  से मैं  बेगाना हो गया. फिर रहा तन्हा  कभी ना दोस्तो रास्तों.  से.  दोस्ताना.  हो  गया शाम ढ़लते मिल गया था कारवाँ रात को अच्छा ठिकाना हो गया ज़िंदगी अब ठीक लगती है बशर ग़म से नाता जो  पुराना हो गया तोड़ लेता आदमी खुद को यहाँ वक्त का तो बस बहाना हो गया हर कोई अंजान  एक दूजे  से है अजनबी सा ये ज़माना हो गया रिसने लगता है कभी माजी मेरा जख्म दिलका ये पुराना हो गया हर जगह रोते बिलखते लोग हैं यार मुश्किल मुस्कुराना हो गया ज़िंदगी गिरवी  पड़ी  है  मौत के उम्र भर  कर्जा़  चुकाना हो गया दौड़तें  दिन  रात  रोटी  के लिए खा़ब सा अब चैन पाना हो गया लौट आता तीर खुदका खुदपे ही आदमी खुद का निशाना हो गया घर  है अपना  पर  किरायेदार हैं आज मुश्किल सर छुपाना हो गया देख लूं खुद  की शकल ऐ आईने मुस्कुराये  एक  ज़माना  हो  गया हौसला कर सिर उठा के जी ले तू बस बहुत सर को झुकाना हो गया ज़िंदगी से 'आरज़ू' मिल खुल के तू बस  बहुत  नज़रें  चुराना  हो गया आरज़ू -ए-अर्जुन

हमें मोड़ देती कहानी हमारी

आदाब जहाँ  से  शुरू   है   जवानी   हमारी वहीं   से   शुरू   है   कहानी  हमारी तुम्हें आजभी दिलपे लिक्खा मिलेगा उसी   पेड़  पे   वो   निशानी  हमारी कहाँ  तोहफे  अब रिझाते  हैं उनको वो   तारीफ़   चाहें   ज़ुबानी   हमारी चलोगे  जहाँ  तक  चलेंगे  वहां  हम तेरे   साथ    है   ज़िन्दगानी   हमारी हमारी  शरीक-ए-हयात बन  गई वो लो  मंहगी   पड़ी  छेड़खानी  हमारी हमारी नज़र को समझती है कितना ये  बेटी  हुई   कब   सयानी   हमारी जो चोरी से खींची थी कल दोस्तों ने वो. फोटो. लगे. अब. पुरानी  हमारी ये. है. आरज़ू. ज़िंदगी. का  तकाज़ा हमें   मोड़    देती    कहानी   हमारी आरज़ू -ए-अर्जुन

फिर भी मुझको रूला दिया कैसे

आदाब राज़  दिल  का  बता  दिया  कैसे उसने  मुझको  हिला  दिया  कैसे बात उसने  कही  थी  हस  के ही फ़िर भी मुझको रूला दिया कैसे यार कल तक तो जान थे उनकी आज दिल  से  भुला  दिया  कैसे कौन  अपना.  है.  कौन. बेगाना वक्त. ने  सब  सिखा दिया  कैसे देख के खुद को कहता हूं रब से खोटा  सिक्का  चला दिया कैसे कौन  सी  गोली  दी  मुझे  तुमने कोख  में  ही   सुला  दिया  कैसे पाक   गीता   कुरान  को  तुमने गंदा   मसला  बना   दिया  कैसे कशमकश  में  है  'आरज़ू' यारो ज़िंदगी   ने   फसा   दिया   कैसे आरज़ू -ए-अर्जुन

बहुत तन्हा से हैं हम तुम कहाँ हो

आदाब सताते  हैं  हमें  ग़म  तुम कहाँ हो हुई आंखें भी पुरनम तुम कहाँ हो बड़े  तन्हा से  लगते  हैं फ़िज़ा में सबा भी हो गई नम  तुम कहाँ हो कभी  सोचा  नहीं  था  हाल ऐसा हुआ जो आज जानम तुम कहाँ हो है छीना हर घड़ी लम्हों  ने हमको रहे बिख़रे  हुए  हम तुम  कहाँ हो जला देती है शबनम आज हमको * नहीं है आग  में दम तुम कहाँ हो कभी रौनक लबों  पे थी हसी की जो दिखती आज है कम तुम कहाँ हो सभी ने  खींच  के मारा  है  पत्थर हुआ दुश्मन ये आलम तुम कहाँ हो कहाँ  पे 'आरज़ू ' हो  लौट  आओ बहुत तन्हा से हैं  हम तुम कहाँ हो आरज़ू ए-अर्जुन

आरज़ू धूप में आज चलता नहीं

आदाब आजकल दिल की  आवाज़ सुनता नहीं बात कितनी भी  वाजिब हो करता नहीं पर   कतर  से   दिए   हैं  यूं  हालात  ने अब कफ़स में ही ख़ुश हूँ मैं उड़ता नहीं चारसू.  तीरगी.   है.   जहाँ.   देख.  लो ज़िक्र  तारों  का  भी  कोई  करता  नहीं आज.  हालात.  मेरे.   कुछ.   ऐसे.  हुए राह  सीधी  भी  हो  पर  मैं  चलता नहीं मैं  फिसल  जाता  हूँ  राह  सूखी  पे भी राह  चिकनी  पे भी था  फिसलता नहीं आज. फ़ैशन.  रूमालों. का.  है. दोस्तो अब  दुपट्टा  बाजा़रों   में   बिकता  नहीं जब  से  खाबों  ने  आंखें   जलाई   मेरी दिल में ख़ाबों के  टुकड़े भी रखता नहीं दोस्ती   दुश्मनी   अब   दिखे   एक  सी फर्क दोनों में कुछ भी  तो  दिखता नहीं कौन  सा रिश्ता  तुमको  लगे  पाक सा दाग  ही  दाग  है  तुमको  दिखता  नहीं अपने साये से भी  खौफ़ खाता है अब आरज़ू'  धूप   में   आज   चलता   नहीं आरज़ू -ए-अर्जुन

हुस्न वाले कमाल तेरा है...

आदाब हुस्न   वाले   कमाल  तेरा  है हर  कली  पे  जमाल  तेरा है मैं तो कांटों पे भी सो सकता हूँ पर  अभी  तो  सवाल  तेरा है प्यार में जो था हाल मेरा तब आज  देखो  वो  हाल  तेरा है सांस बाकी  कहाँ बची थी यूं जी   रहे   हैं   कमाल  तेरा  है ये गुलाबी सा आसमां है क्यों इसपे भी  क्या गुलाल  तेरा है धूप में कल झुलस रहा था मैं आज जुल्फों का जाल तेरा है खो दिया है खुदी को अब मैने रात  दिन  बस  ख्याल  तेरा है किसको खामोश 'आरज़ू 'करता हर  तरफ  ही  बवाल  तेरा  है आरज़ू -ए-अर्जुन