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" चाँद सितारे और मैं "

" चाँद सितारे और मैं "  

कल रात चाँद सितारों से बैठ कर बातें करता रहा 
बड़े अदब से उनका नाम पूछा अपने बारे में बताया 
चाँद खामोश था मगर तारे जवाब देते थे टिमटिमा कर 
चाँद की रौशनी में डूबे वो सारे सितारे मुझे सुन रहे थे 
और मेरी आँखों  में उनका अक्स दिखाई दे रहा था 
थोड़ी देर बाद मुझे एक सितारा चलता हुआ नज़र आया 
मैंने पूछा वो कहाँ जा रहा है तो हसकर कहने लगे 
,"क्या मंजिल की तलाश सिर्फ तुझे रहती है ". 
वो भी मंजिल की धुन में अपनी राहों पे भटक रहा है 
जाने कब उसका सफर ख़त्म होगा या होगा भी के नहीं 
रोज़ तो ये आसमान चुपके से अपना दामन फैला देता है . 
बड़ी निराशा थी उस सितारे की आवाज़ में 
और उस सितारे की चाल में, जैसे वो अपना अंजाम जानते हों
 इतने में एक सितारा धरती पे टूट के गिरा और 
कहीं बिखर गया मैंने फिर से सवाल किया उस टूटे सितारे के बारे में 
इस बार उसकी आवाज में सोज़ था एक दर्द था 
और बोले," जब किसी को मंजिल नहीं मिलती 
तो वो टूट जाया करते है बिखर जाया करते है" 
बड़े खुशकिस्मत हो तुम धरती पे रहते हो 
तुम लोगो के मरने के बाद कब्रों पे सब्ज़ फूल 
देखने को मिलते है मगर जब हम टूट कर गिरते है 
तो हमारी राख भी धरती पे नहीं मिलती 
करोडो साल लग जाते है अपने वजूद को सँभालते सँभालते  
और कुछ ही लम्हे में सब कुछ ख़ाक हो जाता है .  
मैं नहीं जनता था कि सितारों की दुनिया भी 
हम लोगो की दुनिया से मिलती है फर्क इतना था 
कि वो किसी की मौत पे खुश नहीं होते है . 
हर बीते पल के साथ रात जवान हो रही थी 
और मेरे सवाल भी बिना रुके लम्बे हो रहे थे 
फिर मैंने पूछा,"  ये चाँद इतना खामोश क्यों है ?" 
हम धरती पे चाँद को अलग अलग रिश्तो से जोड़ते है 
बच्चों से लेकर बूढ़ो तक सभी इनको चंदा मामा कहते है 
सुहागिनें अक्सर इनकी पूजा करती है और क्या तुम जानते हो 
हर आशिक़ अपनी मेहबूबा का चेहरा चाँद सा बताता है 
और महबूबा अपने आशिक़ को चंदा कह कर बुलाती है 
माएँ अक्सर बच्चों को चाँद सितारों की कहानियां
कह कर सुलाती है कितनी लोकप्रियता है चाँद की 
हमारे समाज में, तो तारे ने जवाब दिया,
" क्या तुमने कभी खुद को बर्फ में पिघला कर
 किसी को गर्मी दी है "? 
कभी तन्हा रह कर किसी को ख़ुशी दी है ? 
क्या कभी खुद को जल कर किसी को रौशनी दी है ? 
नहीं न ?
वहां से देख कर हमें.…तुमको जितनी ख़ुशी होती है 
उतना ही ग़म हमें यहाँ पर चाँद को देख कर होता है
चौदह दिनों तक वो खुद को जला कर हमें रोशन करते है 
और हम बदले में उनका सूनापन भी नहीं बाँट सकते 
चौदवी के चाँद को देखकर जितना खुश तुम होते हो 
उससे कहीं ज्यादा दुःख चाँद को अमावस की रात को 
आते देख कर होता है । 
वो एक पिता की तरह और हम बच्चो की तरह है 
बच्चो को झिलमिलाते देख कर पिता को खुशी होती है 
और बच्चो से बिछड़ने का दुःख माँ बाप से बेहतर 
कौन जान सकता है।
अनगिनत सितारों की अर्थी का बोझ है उनके कन्धों पर 
अनगिनत सितारों को टूट कर बिखरते देखा होगा 
और तुम पूछते हो वो इतने खामोश क्यों है ? 
मैं काफी देर तक चुप था, सोचता रहा . 
मगर मेरे सवाल और उनके जवाब लगातार चलते रहे 
पर रात ने अपनी रफ़्तार धीमी कर दी सुबह हो रही थी 
मुझे मेरे दोस्त उदास और धुंधले दिखाई दे रहे थे । 
फिर कब आँख लग गई कब वो ओझल हो गए जाने क्या पता. 
सुबह जब मैं उठा तो शहतूत के पेड़ के पत्तों पर 
ओंस की बूंदो की चमक मेरे आँखों में पड़ी . 
देखा तो ऐसा लगा, वो बूँदें जैसे मेरा इंतज़ार कर रही हों. 
मुझे मुस्कुराता देख कर हीरे की तरह रौशनी बिखेरने लगे 
फिर एक आवाज आई ऐ दोस्त रात को फिर मिलते है 
फिर वो बूंदे या सितारे धरती की गोद में जाने कहाँ छुप गए.
मुझे अपने इंसान होने पे इतनी ख़ुशी नहीं हो रही थी 
बड़ी अजीब सी बात है हम बिना कुछ खोये 
सब कुछ पाना चाहते है।
और वो चाँद सितारे खुद को मिटा कर भी 
दूसरों को खुशियां बाँटने की कोशिश करते है ।   

आरज़ू-ए-अर्जुन 

 

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