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" एक आरज़ू सी है "

   " एक आरज़ू सी है "

एक आरज़ू सी है ये ज़िंदगी,
गुजरे तेरी पलकों के तले,
और तेरे हर ख्वाब में
मेरा ज़िक्र सा हो।
तेरी हसी से दिल को सुकून मिले
और तेरी बातों में मुझे खोने का
फ़िक्र सा हो  ।
कभी पी लूँ उन आंसुओ को भी तेरे
जो किसी दर्द की वजह से छलकते से हो,
कभी जी लूँ उन सपनों को तेरे
जो झूमते से आँखों में झलकते से हों।
तेरी ज़ुल्फ़ों की छाँव
मेरे चेहरे पर बिखरी रहे यूँ ही सदा
ये ज़माने की धूप मेरे चेहरे पर 
फिर पड़ती  न हो।
कोई शोर न हो दरम्यां हमारे
सिवाए सांसों और धड़कनों के,
नज़रें समझती हो वो ज़बाँ
जो हमारे होटों से बयां न हो।
तेरी गोद में सर रख कर
तुझे देखता रहूँ मैं  एकटक 
और कई जन्मों तक
तुझे पाने का तसव्वर सा हो।
फिर शर्मा कर तू मेरी आँखों को
अपनी हथेलियों से बंद करे,
और माथे को होटों से तू चूमता सा हो । 
आखिर में तुझे सीने से लगाकर
मैं भूल जाऊं इस दर्द की दुनिया को
बस, तुझे पाकर किसी और ख्वाहिश की
फिर कोई तमन्ना न हो  । 

 आरज़ू-ए-अर्जुन

  

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