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राज़े दिल करूँ बयाँ ( geet )

  " राज़े दिल "

राज़े दिल करूँ बयाँ
यां कोई दास्ताँ
कैसे बताऊँ किस तरह
धड़कन में समाई हो
ज़िंदगी में तुम्ही
मेरे दिल में तुम्ही
मेरी सांसो में भी तुम हो

छुपता ही नहीं आँखों से कभी
होती है ये दिल ज़ुबान
देखे जो कोई दिखते ही नहीं
फिर भी होते हैं इनके निशान
कैसे मैं कहूँ और किस तरह
मेरी तुम खुदाई हो।
ज़िंदगी में तुम्ही
मेरे दिल में तुम्ही
मेरी सांसो में भी तुम हो

थाम लो इस तरह के जुदा फिर न हो
रूह में रूह मिल जाये
ज़र्रे ज़र्रे में हो हम समाये हुए
आसमां भी ये हिल जाए
टूटकर हम मिले कुछ इस तरह
आखरी जैसे लम्हा हो।
ज़िंदगी में तुम्ही
मेरे दिल में तुम्ही
मेरी सांसो में भी तुम हो

Aarzoo-e-Arjun



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