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Pyaar me gham hazaar rahte hai. Ghazal

आदाब

प्यार  में ग़म  हज़ार  रहते हैं
लोग फिर भी तैयार  रहते हैं

आस्तीनो को  देख लेना तुम
नाग  भी   बेशुमार  रहते  हैं

वो कयामत सी ढ़ा गए थे क्यों
आज  तक  बेकरार  रहते हैं

सांस लेना हुआ  मुहाल यहाँ
यार  गर्द-ओ-गुबार  रहते  हैं

आज एक नौकरी की हसरत में
लोग अब दस हज़ार रहते हैं

जो सदाकत को भूल जाते हैं
वो   सदा  शर्मसार  रहते  हैं

बात दिल की किसी से मत कहना
अब किधर राज दार रहते हैं

काफ़िले है मगर  सफ़र तन्हा
बस अकेले से  यार  रहते हैं

मुस्कुराते   हैं  आरज़ू  कैसे
जो ग़मों के  शिकार  रहते हैं

आरज़ू -ए-अर्जुन

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चलो योग करें

Aaj ke yoga divas par meri ye rachna..          चलो योग करें एक  काम सभी  हम रोज़ करें योग   करें   चलो   योग   करें भारत  की  पहचान   है   यह वेद-पुराण  का  ग्यान  है  यह स्वस्थ   विश्व   कल्याण   हेतु जन जन का अभियान है यह सीखें    और     प्रयोग    करें योग   करें   चलो   योग   करें मन  को निर्मल  करता  है यह तन को  कोमल  करता है यह है  यह  उन्नति  का  मार्ग  भी सबको  चंचल  करता  है  यह बस  इसका  सद  उपयोग करें योग   करें   चलो    योग   करें पश्चिम   ने   अपनाया   इसको सबने   गले   लगाया    इसको रोग  दोष   से  पीड़ित  थे  जो राम  बाण  सा  बताया  इसको सादा    जीवन   उपभोग   करें योग   करें    चलो   योग   करें आरज़ू-ए-अर्जुन

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हमीं बस थे कहीं भी वो नहीं था ( ghazal )

ग़ज़ल  बहर -  1222        1222        122 बहर - मुफाईलुन, मुफाईलुन, फऊलुंन काफ़िया ( 'ओ' स्वर ) रदीफ़ ( नहीं था ) ------------------------------------------------- हमीं बस थे कहीं भी वो नहीं था मेरी चाहत के काबिल वो नहीं था जिसे सारी उमर कहते थे अपना रहे  हम ग़ैर अपना वो नहीं था किसे कहते यहाँ पर दर्द दिल का किसी पे अब यकीं दिल को नहीं था रहे बिखरे यहाँ पर हम फ़िसल के कभी ख़ुद को समेटा जो नहीं था  कभी तोडा कभी उसने बनाया खिलौना पास खेलने को नहीं था बुरा कहते नहीं हम ' आरज़ू ' को बुरे थे हम बुरा पर वो नहीं था आरज़ू-ए-अर्जुन