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Pyaar me gham hazaar rahte hai. Ghazal

आदाब

प्यार  में ग़म  हज़ार  रहते हैं
लोग फिर भी तैयार  रहते हैं

आस्तीनो को  देख लेना तुम
नाग  भी   बेशुमार  रहते  हैं

वो कयामत सी ढ़ा गए थे क्यों
आज  तक  बेकरार  रहते हैं

सांस लेना हुआ  मुहाल यहाँ
यार  गर्द-ओ-गुबार  रहते  हैं

आज एक नौकरी की हसरत में
लोग अब दस हज़ार रहते हैं

जो सदाकत को भूल जाते हैं
वो   सदा  शर्मसार  रहते  हैं

बात दिल की किसी से मत कहना
अब किधर राज दार रहते हैं

काफ़िले है मगर  सफ़र तन्हा
बस अकेले से  यार  रहते हैं

मुस्कुराते   हैं  आरज़ू  कैसे
जो ग़मों के  शिकार  रहते हैं

आरज़ू -ए-अर्जुन

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DIL TUMHARA JAB CHURAYA JAYEGA.. GHAZAL

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