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Yun anjuman se bekaraar aaye. Ghazal

आदाब

यूँ  अंजुमन  से  बेकरार आये
किसी से होकर शिकार आये

किसी  ने  ना  दी  हमें  सदायें
वहां पे  किसको पुकार आये

नशा  मुहब्बत का  है  नशीला
बिना  पिये  ही   ख़ुमार  आये

नहीं  मिटूँगा  न  कोशिशें  कर
हजा़र    देखे,    हजा़र    आये

किसी को मिलते गुलों के साये
किसी  के हिस्से में  खा़र आये

कोई भी भूखा न  सोए  या रब
सभी  को  रोटी  दो  चार आये

कभी  खुशी   को   रहे  तरसते
कभी  तो    ये   बेशुमार   आये

मुझे  मिटाने   की   हसरतों  में
तुम्हारे    जैसे    हजा़र    आये

अभी ये आलम खि़जा़  बना है
दुआ   करो   के   बहार   आये

खुदा  तो   पूछेगा  आरज़ू   को
ये  ज़िन्दगी  क्यों  गुज़ार  आये

आरज़ू -ए-अर्जुन

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चलो योग करें

Aaj ke yoga divas par meri ye rachna..          चलो योग करें एक  काम सभी  हम रोज़ करें योग   करें   चलो   योग   करें भारत  की  पहचान   है   यह वेद-पुराण  का  ग्यान  है  यह स्वस्थ   विश्व   कल्याण   हेतु जन जन का अभियान है यह सीखें    और     प्रयोग    करें योग   करें   चलो   योग   करें मन  को निर्मल  करता  है यह तन को  कोमल  करता है यह है  यह  उन्नति  का  मार्ग  भी सबको  चंचल  करता  है  यह बस  इसका  सद  उपयोग करें योग   करें   चलो    योग   करें पश्चिम   ने   अपनाया   इसको सबने   गले   लगाया    इसको रोग  दोष   से  पीड़ित  थे  जो राम  बाण  सा  बताया  इसको सादा    जीवन   उपभोग   करें योग   करें    चलो   योग   करें आरज़ू-ए-अर्जुन

बेटियों पे ग़ज़ल

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" बेइंतहां प्यार "

" बेइंतहां प्यार " एक अंजाना डर सा लगा रहता है ये दिल बड़ा बेसबर सा रहता है बड़ी बेचैनी सी  रहती है तुम्हे सोच कर सब कुछ जानकर भी बड़ा बेखबर सा रहता है तेरे आसपास रहती है मेरी मुकम्मल दुनिया तेरे बग़ैर हर एहसास बेअसर सा रहता है कहाँ छुपाऊँ तुझे इस जहाँ की नज़र से तू मेरी आँखों में यूँ नज़र सा रहता है ये जानता भी है के बहुत रुसवाई होगी फिर भी नादान दिल न समझ सा रहता है कितने लाजमी बन गए हो तुम जीने के लिए तेरे पहलू में दिल शामो-सहर सा रहता है बेइंतहा चाहत है इस दिल में आरज़ू इसलिए खुद की नज़र से भी दिल,  डरा डरा सा  रहता है। आरज़ू-ए -अर्जुन