नमस्कार गुणीजनों
आईने के सामने क्यों घबराते हो
चेहरे पे चेहरा, क्यों लगाते हो
जानता हूँ आईने, मैं अपने एैब
देखकर मुझको क्यों मुस्काते हो
आरज़ू
आईने के सामने क्यों घबराते हो
चेहरे पे चेहरा, क्यों लगाते हो
जानता हूँ आईने, मैं अपने एैब
देखकर मुझको क्यों मुस्काते हो
आरज़ू
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