ग़ज़ल
मात्रा ( 122 122 122 122 )
मुझे होश अपनी न तेरी ख़बर है
बड़ी मयकदा सी ये तेरी नज़र है
कहाँ खो गए हैं यहाँ लोग सारे
न जाने ये कैसी अँधेरी डगर है
सभी वार तेरे निशाने पे लगते
जरा बचके यारो ये तिरछी नज़र है
कहाँ चाहतें थी हमारी मुनव्वर
अभी रौशनी में हमारी सहर है
कई मिल गये है मुझे आज लेकिन
मेरी ज़िंदगी में हाँ तेरी कसर है
सभी राह तुझमें है आके समाते
सभी मंजिलों को जो तेरी ख़बर है
कभी होश आया नहीं आरज़ू को
रही ज़िंदगी जो ये मेरी ज़हर है
आरज़ू-ए-अर्जुन

मुझे होश अपनी न तेरी ख़बर है
बड़ी मयकदा सी ये तेरी नज़र है
कहाँ खो गए हैं यहाँ लोग सारे
न जाने ये कैसी अँधेरी डगर है
सभी वार तेरे निशाने पे लगते
जरा बचके यारो ये तिरछी नज़र है
कहाँ चाहतें थी हमारी मुनव्वर
अभी रौशनी में हमारी सहर है
कई मिल गये है मुझे आज लेकिन
मेरी ज़िंदगी में हाँ तेरी कसर है
सभी राह तुझमें है आके समाते
सभी मंजिलों को जो तेरी ख़बर है
कभी होश आया नहीं आरज़ू को
रही ज़िंदगी जो ये मेरी ज़हर है
आरज़ू-ए-अर्जुन
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