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" ये खिड़कियाँ ये दरवाज़े "

" ये खिड़कियाँ ये दरवाज़े "

दोस्त की तरह होते है
ये खिड़कियां और ये दरवाज़े
ये घर को रौशनी और हवा ही नहीं देते
बल्कि आँधी तूफ़ान,
और बरसात से भी हिफाज़त करते है
ज़िंदगी के कई हसीन पहलू हम अक्सर
इन खिड़कियों से झाँका करते है
और कुछ अनछुए पहलू भी
इन्हीं झरोखों से नज़र आते है
ये दरवाज़े बंद कमरे के अंदर न जाने
कितने राज़ अपने लबों तक समेट के रखते है
हमारे हर राज़ के हमराज़ है ये दरवाजे
दर्द को छुपाना हो तो ये अपने आँख
और कान बंद कर लेते है
और ख़ुशी को जताना हो तो
ये अपना दिल खोल देते है
हमारी एक एक आदत को जानते है ये दरवाजे
फिर भी खामोश अपनी जगह पर
हमारे इशारे का इंतज़ार करते है
बिस्तर और तकिये पे
सूखे आंसुओं को पहचानते है
किसी के ख्वाब में उलझे रहने का
सबब जानते है ये दरवाजे
इनकी सिटकनी और कुण्डी भी
खूब अजीब होती है
किसी से रूठ कर छुपना हो तो
धीरे से सिटकनी लगा दो
खुद से रूठ कर छुपना हो तो
कुण्डी लगा दो
इनके खुलने और बंद होने के अंदाज़ भी
किनते अलग होते है न
ख़ुशी से खोलो तो झूमती हुई खुल जाती है
और कहीं दुःख से खोले तो
 इनके खुलने में भी दर्द सुनाई देता है
हर हाल में हमारा हाल जान लेते है
ये खिड़किया और ये दरवाजे
सिर्फ दस्तक से ही बता देते है
कि बाहर कौन है.
कभी गुदगुदाते तो कभी
दिल को धड़काते है ये दरवाज़े
दोस्त होते है ये खिड़कियाँ और ये दरवाज़े

आरज़ू-ए-अर्जुन  

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