आदाब
समय कैसा क़हर बरपा गया है
के हर रिश्ता कटहरे आ गया है
उजाला आंख मूंदे है डरा सा
अंधेरे से ये क्यों घबरा गया है
आरज़ू
समय कैसा क़हर बरपा गया है
के हर रिश्ता कटहरे आ गया है
उजाला आंख मूंदे है डरा सा
अंधेरे से ये क्यों घबरा गया है
आरज़ू
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