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KHUDA KHAIR KARE


"अल्लाह ख़ैर करे"

आज आदमी की कीमत कपड़ों से लगाई जाती है
और उसकी औक़ात उसके जूतों से बताई जाती है

कोई फ़र्क नहीं पड़ता किस काबिल होगा नेता वो
हर दागी पैसे वाले को आज कुर्सी थमाई जाती है

अब मुर्दा लोगों का भी यहाँ ऑप्रेशन हो जाता है
ग़रीब की मज़बूरी से बस रक़म कमाई जाती है

असल  में लुटती है आबरू लड़की की कचहरी में
चंद पैसों की ख़ातिर ईज्जत लूटी-लुटाई जाती है

ख़्वाब सा लगने लगा है अब बच्चों की पढ़ाई यार
रिश्वत खोरी को अब यहाँ डोनेशन बताई जाती है

किताबों की बातें काला झूठ डेरों की बातें सच्ची हैं
भगवान् के पर्याय को यहाँ गुरु गुरु पढ़ाई जाती है

वक़्त कहाँ  है अब हमें, अपनों को  समझाने का
अब तो मर्ज़ी आपकी S M S पर दिखाई जाती है

अल्लाह ख़ैर करे दीवाने आरज़ू जैसे बन्दों पे
उनके तीखें अल्फ़ाज़ों से बस आग लगाई जाती है


AARZOO-E-ARJUN
   

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" न रुकना कभी न थकना कभी " इस जहाँ में कौन नहीं, जो परेशान है  है कोई ऐसा, जिसकी राहें आसान है किसी को कम तो किसी को ज्यादा सहना पड़ता है ज़िंदगी जो दे, जैसे रखे, रहना पड़ता है है कदम ज़िंदा तो राहों का निर्माण कर है बाज़ुओं में दम तो मुश्किलों को आसान कर है हौंसला, तो एक लम्बी उड़ान कर है नज़र तो सच की पहचान कर मत सुना ज़िंदगी को मैं थक गया हूँ राह में और बोझिल लगेगी ये  ज़िंदगी इस राह में मत सूखने दे ये पानी अपनी ख्वाबमयी आँखों में सजा तू तमाम सपने जो छुप गए है कहीं रातों में जब रूठ जाए ये चाँद,सितारे और सूरज भी तुमसे मत होना अधीर और एक वादा करना खुद से तू रुक गया तो इन्सां नहीं तू झुक गया तो इन्सां नहीं न थकना कभी न रुकना कभी, कर खुद से बातें पर चुप रह न कभी क्या पता अगले मोड़ पे मंजिल खड़ी हो किसे खबर तेरे क़दमों तले खुशियां पड़ी हों कर नज़र ज़बर और सबर को मज़बूत तुम किसे पता कल तेरे आगे दुनिया झुकी हो . (आरज़ू ) AARZOO-E-ARJUN