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हल्का हल्का सुरूर देखा था

आदाब

उनकी  आँखों  में  नूर देखा था
हल्का  हल्का  सुरूर  देखा  था

उस    नशीली   रात   में    मैने
एक   हसीं  कोहेनूर  देखा  था

भर  लूं  आगोश  में  उन्हें  ऐसा
ख़ाब   मैने   ज़रूर   देखा  था

पास  आते   गए  वो  मेरे   पर
खुदको  तन्हा  सा दूर देखा था

सच बताऊँ तो उनसे यूं मिलके
खुद  में   मैने  गुरूर  देखा  था

जब थे आगोश में वो तो दिलमें
झूमता   सा   म्यूर   देखा   था

कत्ल   करके   चले   गए  मेरा
फिर भी  वो  बेकसूर  देखा था

आरज़ू अब भी सोचता उसदिन
उसने मुड़कर  ज़रूर  देखा था

आरज़ू -ए-अर्जुन

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