Skip to main content

MEENAARZOO

" आरज़ू-ए-अर्जुन "
--------------------------------------------


एक गूंज सी सुनाई दी है
ये आवाज़ जानी पहचानी सी है
दिल बेचैन सा हो उठा है मेरा
शायद तूने ज़ोर से साँस ली है
-------------------------------------------

एक अलग से एहसास ने मुझको छुआ है
एक अजीब सा दर्द इस दिल को हुआ है
अपनी सी लगने लगी है ये खुदगर्ज़ सी दुनिया
जबसे मुझे, तुमसे ये  इश्क़ हुआ है.
-------------------------------------------

बेमतलब नहीं  होता दिल का धड़क जाना
बेमाइने नहीं होता आँखों का तड़प जाना
फिर कोई दिल में बसे यां आँखों में
बड़ा मुश्किल होता है इससे निकल पाना
--------------------------------------------

हवाओं से खेलता ये तेरा आँचल
फ़िज़ाओं में गूंजती ये तेरी हसी
घटाओं से उलझती ये जुल्फें तेरी
और होटो पे एक बात है दबी-दबी
तुझे देख कर दिल कहता है मेरा
तेरे बिन अब जीना नहीं, नहीं, कभी नहीं
--------------------------------------------

मेरी बेतरतीब सी ज़िंदगी को सँवार दिया हो जैसे
मेरे जीने के हुनर को निखार दिया हो जैसे
मैं तो बिखरा पड़ा था तेरी राहों में कहीं
तूने बाहों में समेटा,
और तड़पते दिल को करार दिया हो जैसे
--------------------------------------------

साँसे रोक के तेरी आहट सुनते है
आँखे खोल के तेरे ख्वाब बुनते है
कोई काँटा न चुभ जाये तेरे पाँव में कहीं
तेरी राहों से हम वो कांटे चुनते है
--------------------------------------------


ख़ामोशी इस कदर न हो के बात कि भी जगह न रहे
दिल में गुबार इतना न हो के ज़ज़बात कि भी जगह न रहे
मोहब्बत में देखना के फासले इतने न बढ़ें
के आखरी मुलाक़ात कि भी जगह न  रहे।   ( आरज़ू )
---------------------------------------------

अल्फाज़ो को तरतीब से लिखता था आरज़ू
लोगों ने शायरी कह के मशहूर कर  दिया
--------------------------------------------

कई बरसातें गुजर गई है उस फुहार के इंतज़ार में
तुझे सीने से लगा कर अब तक भीगा नहीं हूँ मैं
--------------------------------------------

हाथ छूटते ही दिल में कुछ होने लगता है
वो दूर तक दिखता है फिर खोने लगता है
जान निकल जाती है मेरी उस वक़्त क़सम से
जब माथा चूम कर वो जुदा होने लगता है
--------------------------------------------

मत मांग खुदा से मुझको ए हमसफ़र मेरे
तुझे चाहने वालों में एक नाम उसका भी है
--------------------------------------------

निगाहों को कहने दो मेरे दिल की दास्ताँ
इन लबों पे अब मुझे एतबार नहीं रहा आरज़ू
--------------------------------------------

मैं खुदा से शिकवा करूँ क्या अपनी ग़रीबी का
तुझे सौंप के उसने मेरे लबों को खामोश कर दिया
--------------------------------------------

हमें ज़िंदा रखने के लिए तेरी इक मुस्कान ही काफी थी
इन मन्नतो में फस कर तुमने खुद को भी तबाह कर दिया
 --------------------------------------------

एक फ़रियाद सी होती है होटों पे
जब भी तेरी याद आती  है
और जब कभी दीदार हो तेरा
फिर न सांस आती है न सांस जाती है
 --------------------------------------------

ये दिल दर्द से कराहता क्यों है
फिर दर्द भूल के मुस्कुराता क्यों है
कभी सहम जाता है दिल गहराइयों को देखकर
कभी गहरे सागर उतर जाता क्यों है
बहुत इलाज़ते है इस मर्ज़ की दवा जहाँ में हम
सुकून मिलता है दिल को जब भी मुस्कुराता तूँ है
 --------------------------------------------

ये आँखे गुस्ताख़ नहीं बस तेरे चेहरे से ये नज़र नहीं हटती
दिल चाहता है तुझे सीने से लगा लूँ
मगर तस्वीर से निकल कर तू मेरे सीने से नहीं लगती
 --------------------------------------------

बेखुदी में वक़्त गुजारना ग़वारा नहीं था आरज़ू
पर उसका इंतज़ार करना अब अच्छा लगता है
 --------------------------------------------

कोई आवाज़ नहीं थी, सांसो और धड़कनो के सिवा
होंठ भी खामोश थे मेरे,
मगर, हर बात कह दी और हर बात सुनता रहा
 --------------------------------------------

महफ़िल में हर शख्स तेरे नूर की बात करता रहा
आंसू छुपा के हसने की अदा भी क्या खूब थी तेरी
--------------------------------------------

जब दिल नहीं लगता तो पुकारते है तुझे
जब साँस नहीं मिलती तो पुकारते है तुझे
जब रुलाती है ये दुनिया तो पुकारते है तुझे
--------------------------------------------

क्यों इतने जरूरी बन गए हो तुम जीने के लिए
कि हर सांस लेने से पहले भी पुकारते है तुझे
 --------------------------------------------

हम इतना मुस्कुराएंगे ये खबर नहीं थी हमें
इस ग़म को छुपाना इतना भी मुश्किल नहीं था आरज़ू
 --------------------------------------------

मत गिरो बिज़ली बन के मेरे दिल के आशियाने पे
हर तिनके पे कितने ख्वाब सजा रखे है आरज़ू
 --------------------------------------------

तुझे जाते देख नज़र झुकाना, बेवफाई नहीं थी मेरी
भीगी पलकों से तुझे देखते, तो वादा टूट जाता
--------------------------------------------

गैरों के संग हस के, हमारा मज़ाक बनाया तुमने
एक तेरी मुस्कान की खातिर हम तमाशा बनते रहे
--------------------------------------------

हर सितम ग़वारा है तुमसे दूर रह कर भी मुझे
बस जब भी बंद करूँ आँखे तू हसता नजर आये
--------------------------------------------

ये दिल धड़कने लगता है जब भी सामने होता है तू
वरना हर सांस जुदा सी है जब भी तू दिखता नहीं
 --------------------------------------------

वो राज़-ए-दिल सुनाते है आईने को आरज़ू
वो जानते है के आईने कुछ बोलते नहीं
--------------------------------------------

किया इंतज़ार जिसके गुजरने का आँखे मीचे 
लो  गयी वो आंधी फिर से  मेरे पीछे पीछे
 --------------------------------------------

वो कहते है मुझे अब क्यों नहीं मुस्कुराते
बस थक गए है यूँ ग़म को छुपाते छुपाते
 --------------------------------------------

मैं मर के भी ज़िंदा हूँ तुझमे बहुत चाहा है तुझे
तेरी आँखों का पानी हूँ आंसू में मत बहाना मुझे
--------------------------------------------

यूँ खुशबू बनकर महका  न करो हवाओं में 
मेरे सिवा और भी साँसे लेते है फ़िज़ाओं में
 --------------------------------------------

सुबह  के ओंस की तरह ताज़गी होती है
एक रूहानी सी सादगी होती है
जब भी देखते है तेरे चेहरे को हम
आँखों में सुरूर और एक दीवानगी होती  है
-------------------------------------------- 

एक रास्ता बंद मिला तो क्या हुआ आरज़ू
अभी और भी रास्ते है इस मंजिल की राह में
 --------------------------------------------

दिल  चाहता है मैं इक बात लिख दूँ
अपनी किस्मत में तेरा साथ लिख दूँ
ग़र कभी थम रही हो तेरी सांसे,
तो तेरी सांसो में अपनी हर साँस लिख दूँ
 --------------------------------------------

बारिश की बूंदों सा तेरे चेहरे पे बिखर जाऊंगा
हरपल तेरी सांसों को यूँ ही महकाऊँगा
मैं पास रहूँ या दूर,
जब भी याद करोगे बस चला आऊंगा, चला आऊंगा 
--------------------------------------------

कितनी तन्हाई है इस महफ़िल में ओ सनम 
काश ऐसा हो ! मैं आँखे बंद करूँ और तू आ जाए
 --------------------------------------------

क्या कहूँ तेरे बारे में मैं हमनशीं
एक नूर हो, एक सुरूर हो, एक गुरुर हो तुम
तू दुआ का पहला हर्फ़, तू आरती की लौ
और मेरी मुकम्मल ज़िंदगी हो तुम
-------------------------------------------- 

हर लम्हा बस जी लेता हूँ
इन लबों को बस सी लेता हूँ
तुम ग़मज़दा न हो जाओ कहीं
इसलिए हर आंसू को पी लेता हूँ
--------------------------------------------

अपने सीने से लगाकर फिर जुदा न कर आरज़ू 
मुझे बार जीने और मरने का फ़न नहीं आता है
--------------------------------------------

मत छुओ अपनी सांसो से मुझे ऐसे 
ये जिस्म पिघल कर तेरी बाहों में बिखर जाएगा
होके बेकाबू ये दिल मेरा,
तेरी धड़कनो में खोकर सिमट जायेगा
--------------------------------------------

जब छूते है मेरे ये होंट तेरे नाम को आरज़ू 
बस दो लफ्ज़ो में इबादत हो जाती है खुदा की
--------------------------------------------

बड़ी बेचैन होती है ये धड़कने 
जब भी तेरे बारे सोचता है दिल
हज़ारों सुइयाँ चुभती है नसों में
तब हरपल तुम्हे खोज़ता है दिल
--------------------------------------------

हमें और भी गम है तेरी चाहत के सिवा 
एक तू ही नहीं इस दर्दे दिल की वज़ह
 --------------------------------------------

ऐ खुदा तेरी रहमत से मेरी कलम में इतनी जान आ जाए
जब पढ़ूं तो इबादत हो तेरी, जब लिखूँ तो सनम का नाम आ जाए
 --------------------------------------------

वो  एहसास बहुत ख़ास होता है
जब तू मेरे बहुत पास होता है
मेरे जिस्म में रिसने लगती है तेरी चाहतें
पर तुझे खोने का डर भी मेरे साथ होता है
--------------------------------------------

लो उठा लिया पैमाना मैंने  उसके नाम पे ए साकी
चल, दे वो शराब जो उसकी आँखों से नशीली हो
-------------------------------------------- 
आँखों में भर के तुझे चले जाते है हम
कितने अरमान होते है तुझे गले लगाने को
बस उन्ही अरमानो में चुप चाप जले जाते है हम
--------------------------------------------

 एक अंजाना  डर सा लगा रहता है
ये दिल बड़ा बेसबर सा रहता है
कहाँ छुपाऊँ तुझे इस जहां की नज़र से
तू मेरी आँखों में जो नज़र सा रहता है
--------------------------------------------

दो दिलों के दरम्यां कोई दूरी न हो  
हर बात ज़ुबाँ से कहे ये ज़रूरी न हो
मैं आखरी साँस लूँ तेरी बाहों में आरज़ू
तुमसे बिछड़ के जीना पड़े, ऐसी कोई मज़बूरी न हो
-------------------------------------------- 

दिल कह रहा अब मेरा नज़दीक आकर आपके
तेरे जिस्म में समां जाऊं इक बार इज़ाज़त दे के देख
--------------------------------------------

हम खुदा को न मानते गर तुझे देखा न होता 
तुझे देख के माना मैंने, के खुदा है कहीं पे
 --------------------------------------------

निशब्द  सा है तेरा प्यार साथिया
अब कैसे करूँ मैं बयान तुमसे
नहीं मिलते वो अलफ़ाज़ मुझे
के कह सके, कितना करते है हम प्यार तुमसे
--------------------------------------------

हम चाहते थे के खोल दे दिल अपना उनके सामने 
पर वो जानते थे के ये लब, खामोश क्यों है आरज़ू
--------------------------------------------

तेरी आँखों में एक पल छोड़ जाऊँगा 
तेरे दिल एक हलचल छोड़ जाऊंगा
बस मुस्कुराने की आदत डाल लो तुम
क्या पता तुझे रोता हुआ मैं कल छोड़ जाऊंगा
--------------------------------------------

ऐ आसमानो ऐ दो जहानों 
तुमसे हसींन है वो मानो यां न मानो
     
--------------------------------------------

हम अपनी मोहब्बत को आज खुदा कर आये
उसे सौंप कर अपनी रूह और जिस्म को जुदा कर आये

 6, sep,15
--------------------------------------------

   मैं टूटा तो था पहले से कभी
आज तूने बिखरने की वज़ह दे दी
तूने निभाया होगा ये वक़्त का चलन
मगर इस वक़्त ने मेरी ज़िंदगी ले ली
6, sep,15
--------------------------------------------

हमने आँखों में समंदर को समेट रखा था कभी
आज तूफ़ान भी आ जाए इनमे, तो न रोकेंगें हम         
6, sep,15
--------------------------------------------

मत झुकाओ इन आँखों को और देखने दो मुझे
अभी दिल का आशियाँ ख़ाक नहीं हुआ है आरज़ू
6, sep,15
--------------------------------------------

एक ख़ुश्बू है तेरे नाम में आरज़ू
हर सांस महकती है तेरे नाम से
ये आरज़ू है जब आखरी साँस हो
मेरे होटों पे बस तेरा नाम हो
--------------------------------------------

ये तेरी आँखों में जो ख़ुशी होती है
जो तेरे होटों पे मुस्कान सजी होती है
ये यूँ ही नहीं मिलती खुदा से आरज़ू
इनकी भी कीमत बहुत बड़ी होती है
--------------------------------------------

है  कोई ऐसा पल जिसमे तू पास नहीं होता
है कोई ऐसा एहसास जिसमे तू साथ नहीं होता
तू है तो मायने है ज़िंदगी के वरना,
तेरे बिन जीना, कुछ ख़ास नहीं होता
---------------------------------------------

हर लम्हा एक बेचैनी सी है
हर लम्हा मजबूर सा होता है दिल
एक तेरी ख़ातिर ज़िंदा है अब तक
वरना हर लम्हा फ़नाह होता है दिल  
----------------------------------------------

तुझसे बिछड़ के जीना गवारा नहीं है आरज़ू
तेरी बाँहों में दम तोडना फ़क्र की बात होगी 
 ----------------------------------------------

मत  रोको अब हद से गुजर जाने दो मुझे
तेरी रूह में बनके इश्क़ उतर जाने दो मुझे
मैं डरता हूँ ये वक़्त छीन न ले तुझे मुझसे
इस जन्म में सिर्फ तेरा बनके मर जाने दो मुझे
--------------------------------------------  
    

Comments

Popular posts from this blog

चलो योग करें

Aaj ke yoga divas par meri ye rachna..          चलो योग करें एक  काम सभी  हम रोज़ करें योग   करें   चलो   योग   करें भारत  की  पहचान   है   यह वेद-पुराण  का  ग्यान  है  यह स्वस्थ   विश्व   कल्याण   हेतु जन जन का अभियान है यह सीखें    और     प्रयोग    करें योग   करें   चलो   योग   करें मन  को निर्मल  करता  है यह तन को  कोमल  करता है यह है  यह  उन्नति  का  मार्ग  भी सबको  चंचल  करता  है  यह बस  इसका  सद  उपयोग करें योग   करें   चलो    योग   करें पश्चिम   ने   अपनाया   इसको सबने   गले   लगाया    इसको रोग  दोष   से  पीड़ित  थे  जो राम  बाण  सा  बताया  इसको सादा    जीवन   उपभोग   करें योग   करें    चलो   योग   करें आरज़ू-ए-अर्जुन

Wagde panio lai jo suneha mera.. Punjabi poem

" Wagede panio" Wagde paanio, lai jo suneha mera, Aakhna us vichde kinaare nu.. Dil rounda ae mera, tainu kar kar yaad. Lubhda aye hussde nazaare nu. Ikko hi dharti te wagde si saare.. Kinne khichiya lakiran kinne mod ti muhaar.. Thandiyan havavan thand paindi c seene, Kinne feriyan si akkha kinne bhed laye c dwaar. Ki karan main ajj lai ke thande thande sahan nu.. Dil marda ae awaaja ajj punj dariyava nu... Wagde paniyo lai jo............. Saron de fullan to vakhre kapaah ne. Vagda ae raavi vakkh, vakhra chinaah ae. Samajh nahi aoundi eh kisda punjab ae Ik hissa ethe , duja oathe judaa ae Puchda hi rehnae ehna silliyan havava nu.. Dil marda ae awaaja ajj punj dariyava nu.. Wagde paanio lai jo suneha mera..... Aarzoo -e-Arjun

बेटियों पे ग़ज़ल

ग़ज़ल दौलत नहीं,   ये अपना संसार  माँगती हैं ये बेटियाँ  तो हमसे,  बस प्यार माँगती हैं दरबार में ख़ुदा के जब  भी की हैं दुआएँ, माँ बाप की ही खुशियाँ हर बार माँगती हैं माँ  से दुलार, भाई से  प्यार  और रब  से अपने पिता की उजली  दस्तार माँगती हैं है दिल में कितने सागर,सीने पे कितने पर्बत धरती के जैसा अपना, किरदार माँगती हैं आज़ाद हम सभी हैं, हिन्दोस्ताँ में फिर भी, क्यों 'आरज़ू' ये अपना अधिकार माँगती हैं? आरज़ू