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आरज़ू की कलम से

पानी की तरह रंगहीन , गंधहीन था आरज़ू
इस दुनियां ने रंग भरे और गन्दा कर दिया         ( आरज़ू )


         मैं  ज़मीन की जड़ से जुड़ा हूँ
     आकाश में उड़ना मुझे नहीं आता है
   सर उठा कर चलना तो फितरत है मेरी
वरना ! आकाश तो क्षितिज पे झुका नज़र आता है    (आरज़ू )

मैं हवा था इस गुलशन में महका सा कहीं, क्या खबर थी ,
सेहरा में जलना भी होगा और तूफनों में चलना भी होगा
एक कशमकश सी रहती है अक्सर अपने वुज़ूद को लेकर,
मेरी वज़ह से उसे बसना भी होगा और उजड़ना भी होगा           (आरज़ू )

इतना  सोच समझ के फैसले क्यों लेता है तूं ,
लोग फैसला लेके उसे साबित कर देते है आरज़ू               ( आरज़ू )  

हाथ की लकीरों में क्या ढूंढ़ता था आरज़ू तकदीर तो मुट्ठी में बंद थी
जब देखा उस तकदीर को सामने तो कम्बख्त मेरी साँसें ही चंद थी        (आरज़ू )  

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चलो योग करें

Aaj ke yoga divas par meri ye rachna..          चलो योग करें एक  काम सभी  हम रोज़ करें योग   करें   चलो   योग   करें भारत  की  पहचान   है   यह वेद-पुराण  का  ग्यान  है  यह स्वस्थ   विश्व   कल्याण   हेतु जन जन का अभियान है यह सीखें    और     प्रयोग    करें योग   करें   चलो   योग   करें मन  को निर्मल  करता  है यह तन को  कोमल  करता है यह है  यह  उन्नति  का  मार्ग  भी सबको  चंचल  करता  है  यह बस  इसका  सद  उपयोग करें योग   करें   चलो    योग   करें पश्चिम   ने   अपनाया   इसको सबने   गले   लगाया    इसको रोग  दोष   से  पीड़ित  थे  जो राम  बाण  सा  बताया  इसको सादा    जीवन   उपभोग   करें योग   करें    चलो   योग   करें आरज़ू-ए-अर्जुन

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ग़ज़ल  बहर -  1222        1222        122 बहर - मुफाईलुन, मुफाईलुन, फऊलुंन काफ़िया ( 'ओ' स्वर ) रदीफ़ ( नहीं था ) ------------------------------------------------- हमीं बस थे कहीं भी वो नहीं था मेरी चाहत के काबिल वो नहीं था जिसे सारी उमर कहते थे अपना रहे  हम ग़ैर अपना वो नहीं था किसे कहते यहाँ पर दर्द दिल का किसी पे अब यकीं दिल को नहीं था रहे बिखरे यहाँ पर हम फ़िसल के कभी ख़ुद को समेटा जो नहीं था  कभी तोडा कभी उसने बनाया खिलौना पास खेलने को नहीं था बुरा कहते नहीं हम ' आरज़ू ' को बुरे थे हम बुरा पर वो नहीं था आरज़ू-ए-अर्जुन