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( मेरा आशियाना )

( मेरा आशियाना )
 
फिर से हवाएं तेज़ चलने लगी 
फिर से एक बेचैनी बढ़ने लगी  

फ़िक्र उन तिनको की नहीं थी  
जो सेहरा से चुन कर लाये थे
फ़िक्र दरो-दीवारों की नहीं थी 
जो मेरे सपने बुन कर लाये थे 

डर था उस आशियाने का और
इस बेदर्द ज़माने का, फिर !
किसी ने चिंगारी फेंकी इस तरफ 
मेरे सूखे तिनके थे जिस तरफ 
मैने आशियाने को खाक होते देखा 
उन सपनो को राख होते देखा 

बात एक चिंगारी की नहीं थी 
जो किसी ने मेरी ओर फेंकी 
ग़म उन तेज़ हवाओं का था  
जिसने अरमानो की चिता सेकी 
मैंने राख के ढेर से उन सपनो को समेटा 
बचे तिनकों को बड़े अरमानो से लपेटा

फिर से तिनको का एक आशियाँ जोडूँगा 
तुम चलना हवाओ जितनी भी चाहे तेज़ 
तुम हवाओं का मुह अब मैं  भी तोड़ूँगा  
टकराना मेरे खवाबो से चाहे जितनी बार 
पर समझ लो तुम भी इस बार 
अब मैं भी सपने  देखना नहीं छोड़ूँगा 

(आरज़ू)

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