( कारवाँ )
इस कारवां में लोग नंगे पाँव चलते रहे
हर तरफ जिंदा लाशें चलती फिरती थी
कुछ इस मौत से तो कुछ इस जिंदगी से मरते रहे
आँखों के सपने और दिल की धड़कन तक नीलाम थी
इस आग में न जाने वो कब से जलते रहे
लाखों ख्वाहिशों ने इस कारवां में दम तोड़ दिया
लोग फिर भी उनकी लाशों पर से गुजरते रहे
इस कारवां में लोगो को आगे तो बढते देखा
पर वो अपनी ही लाश को मंजिल तक ढोते रहे
(आरज़ू )
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