( हम भी सफ़र करते है )
अब वो आहट सुनाई नहीं देती
अब वो तस्वीर दिखाई नहीं देती
अब वो तस्वीर दिखाई नहीं देती
उतना ही शोर है आस-पास मगर
वो आवाज़ अब सुनाई नहीं देती
घडी तो चल रही है पर आवाज़ बंद है
दिल भी धडकता है पर धड़कन मंद है
किस उम्मीद के भँवर में हूँ मैं
कोई मोड़ है आगे, या हर राह बंद है
कोई बेकरारी नहीं आँखों में खुमारी नहीं
किसी तरह की ख़ुशी और ग़म भी नहीं
जिंदगी किस सफ़र पे चल रही है आरज़ू
हर कोई तन्हा है यहाँ कोई हमदम भी नहीं
सब मुसाफिर है इस दुनिया के, सफ़र करते है
राह के ज़ख्मों को खुद ही मरहम करते है
फिर क्यों शिकवा, कैसा गिला कोई मिला या न मिला
काट के सब बंधन-बेड़ियाँ चलो हम भी सफ़र करते है
(आरज़ू)
Comments
Post a Comment