( एक आवाज़ सुनी थी )
कल एक अवाज़ सुनी थी शायद कुछ टूट रहा था
कुछ बिखर गया था या कुछ फूट रहा था
क्या था क्यों था कुछ समझ न पाया
बहुत सोचा था मैंने पर समझ न आया
धुंध में एक साया, पत्तों की सरसराहट
वही घुँघरूओं की आवाज़ और कदमों की आहट
देखा हर एक कोना फिर भी कोई छूट रहा था
कल एक आवाज़ सुनी थी शायद कुछ टूट रहा था
धड़कने कुछ तेज़ थी उसे समझाया था मैंने
शायद किसीसे रूठा था उसे मनाया था मैंने
फिर एक याद ने ज़हन को दस्तक दी
उसी वक़्त मेरे दिल ने एक हरकत की
एक टीस थी,एक दर्द था और एक आह थी
वही मोड़ था, वही गली थी और वही राह थी
मगर! एक काँच का मकान कहीं से फूट रहा था
कल एक आवाज़ सुनी थी शायद कुछ टूट रहा था
धड़कने बढ़ी और साँसों की रफ़्तार तेज़ थी
चेहरा भीगा हुआ और आंखे निस्तेज थी
पर मुझे वो आवाज़ साफ़ सुनाई देने लगी
यादों में जो तस्वीर थी, दिखाई देने लगी
वही चेहरा, वही साया और वही बेदर्द आँखें
मेरा मन भीतर कुछ कांच के टुकड़ों को झांके
अरे! यह तो मैं था और मेरा ही दिल टूट रहा था
कल एक आवाज़ सुनी थी शायद कुछ टूट रहा था (आरज़ू)
कल एक अवाज़ सुनी थी शायद कुछ टूट रहा था
कुछ बिखर गया था या कुछ फूट रहा था
क्या था क्यों था कुछ समझ न पाया
बहुत सोचा था मैंने पर समझ न आया
धुंध में एक साया, पत्तों की सरसराहट
वही घुँघरूओं की आवाज़ और कदमों की आहट
देखा हर एक कोना फिर भी कोई छूट रहा था
कल एक आवाज़ सुनी थी शायद कुछ टूट रहा था
धड़कने कुछ तेज़ थी उसे समझाया था मैंने
शायद किसीसे रूठा था उसे मनाया था मैंने
फिर एक याद ने ज़हन को दस्तक दी
उसी वक़्त मेरे दिल ने एक हरकत की
एक टीस थी,एक दर्द था और एक आह थी
वही मोड़ था, वही गली थी और वही राह थी
मगर! एक काँच का मकान कहीं से फूट रहा था
कल एक आवाज़ सुनी थी शायद कुछ टूट रहा था
धड़कने बढ़ी और साँसों की रफ़्तार तेज़ थी
चेहरा भीगा हुआ और आंखे निस्तेज थी
पर मुझे वो आवाज़ साफ़ सुनाई देने लगी
यादों में जो तस्वीर थी, दिखाई देने लगी
वही चेहरा, वही साया और वही बेदर्द आँखें
मेरा मन भीतर कुछ कांच के टुकड़ों को झांके
अरे! यह तो मैं था और मेरा ही दिल टूट रहा था
कल एक आवाज़ सुनी थी शायद कुछ टूट रहा था (आरज़ू)
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