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" एक रास्ता "


" एक रास्ता "

यह हस्ता खेलता  फूलों सा बचपन 
और जीवन से संघर्ष करती जवानी 
यह सपनो से भरी हुई नज़रें 
और ज़ज़बातों से भरी हर कहानी 
फिर मंजिल को तलाशती  यह राहें 
कहीं थकन है कदमो में, तो 
कहीं थकान से चूर हैं ये बाहें 
यह खुशीओं की खुश्बू  खो गई है 
यां ग़म की बगिया में दिए छुपाये
चलो चंद फूल खुशियो के 
इस बगिया से हम भी चुराएँ 

यह इंसान ज़ज्बातों से क्यों खेलता
फिर नफरतों की आग को खुद ही झेलता 
नफरत से देखे, नफरत से मारे 
अपनी ही आग में झुलस रहे  सारे 
अपनी ही लाश को कंधों पे लिए 
एक  अंजान से सफ़र पे चल दिए 
ना ओर है  न छोर है कोई 
न निशा है न भोर है कोई 
इस नफ़रत की शमशान में क्यों 
अपने अरमानो की चिता जलायें 
बहुत हो गया चलो प्रेम की जोत जलायें

किस तरफ भाग रहे, यह कैसी दौड़ है 
जिंदगी कहीं नहीं, यह कैसा मोड़ है 
क़दमों को घायल करते यह पथरीले रास्ते 
समतल धरा है  कही यां केवल रोड़ है 
जितने मोकाम आये इस सफ़र में 
उतनी जिंदगी के पल खो दिए 
हमने  इस जिंदगी के गुलशन में कांटे बो दिए 
क्यों अपनी जिंदगी को कांटो भरा बनायें 
चलो फिर से अपनी राहों को फूलों से सजाएँ 

मंजिल का सफ़र तो तय करना ही है 
फिर क्यों न हस्ते हुए करें 
हर मुश्किल का सामना भी करना है 
तो  क्यों न पूरी हिम्मत से करें 
इस मजिल की तलाश में, जिंदगी क्यों खोएं 
कांटे मिले हैं कांटो की जगह काटे क्यों बोयें 
गाढ़ दो अपनी जीत के झंडे अपनी राहों पर 
रहे न कोई गर्द अब इन निगाहों पर 
न हो अन्धकार कहीं, आओ! मिल कर इतने दीए जलाएं 
इस जिंदगी की अमावस को चलो दीवाली की तरह मनाएं 

(आरज़ू)

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