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चाहत का एहसास

चाहत का एहसास 

उसने प्यार से गले लगाया तो वो सुकून मिला
जैसे मुददत बाद कोई भूला घर आया हो

उनकी बाँहों में जब आया तो छलक उठी आँखें
जैसे तरसी हुई खुशी को सीने लगाया हो

उनके हाथो ने जब माथे को सहलाया तो ऐसा लगा
जैसे दिल के छालों पे मरहम लगाया हो

उनके गेसुओं की छाया यूँ थी मुझपे
जैसे तपते सेहरे में घने बादलों की छाया हो

उनकी गोद में जब सिर रखा तो धडकनें  यूँ थी मेरी
जैसे कोई जिंदगी की दौड़ जीत कर आया हो

उनके प्यार को जब पाया तो यह महसूस हुआ
जैसे ताउम्र आरज़ू ज़िंदगी में कुछ न पाया हो


(आरज़ू )

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आदाब दिल तुम्हारा जब चुराया जाएगा दोष तुमपर ही लगाया जाएगा इस मुहब्बत में फ़क़त पहले पहल तुमको पलकों पर बिठाया जाएगा तोल लेना पर को तुम अपने यहाँ तुमको ऊँचा भी उड़ाया जाएगा उड़ना लेकिन छोड़ मत देना ज़मीं तुमको नीचे भी गिराया जाएगा झांकना मत आंखों में वो फ़र्ज़ी है ख़ाब झूठा ही दिखाया जाएगा बढ़ रहे आहिस्ता से तुम मौत को यह नहीं तुमको बताया जाएगा है मुहब्बत खूबसूरत सी बला जाल में इसके फंसाया जाएगा प्यार में वादा करो पर सोच कर देखना, तुमसे निभाया जाएगा यह नहीं कहता मुहब्बत मत करो टूट कर क्या तुमसे चाहा जाएगा जो मुहब्बत पाक सी है 'आरज़ू' उसके आगे सर झुकाया जाएगा आरज़ू-ए-अर्जुन

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