"मेरी चाहत"
मैं लय बन जाऊँ तेरे साँसों की
तेरे इतना करीब आना चाहता हूँ।
तेरे लबों पे बिखर जाऊँ ख़ुशी बनके
मैं इस कदर मुस्कुराना चाहता हूँ।
तेरे हर आँसूं को रोक लूँ होटों पे
तेरा हर दर्द पी जाना चाहता हूँ।
तू देखे जिस ख़्वाब को ता उम्र
मैं वो ख़्वाब बन जाना चाहता हूँ।
मुझे समा लो तुम अपनी आँखों में
मैं अब वहाँ बस जाना चाहता हूँ।
जो ख़ुश्बू महकाती है तेरे बदन को
मैं वो खुशबू बन जाना चाहता हूँ।
तेरी जुबाँ से जो भी शब्द निकलें
मैं उनका हर्फ़ हो जाना चाहता हूँ।
तू बिछड़े अगर तो लड़ पडूँ ख़ुदा से
संग तेरे हर लम्हा जीना चाहता हूँ।
तू संग मेरे तो जन्नत की परवाह नहीं
तेरे संग लिपट के मर जाना चाहता हूँ।
गर मिला ख़ुदा तो यही कहूँगा उसे
मैं हर जनम में तुझे पाना चाहता हूँ।
आरज़ू-ए-अर्जुन
मैं लय बन जाऊँ तेरे साँसों की
तेरे इतना करीब आना चाहता हूँ।
तेरे लबों पे बिखर जाऊँ ख़ुशी बनके
मैं इस कदर मुस्कुराना चाहता हूँ।
तेरे हर आँसूं को रोक लूँ होटों पे
तेरा हर दर्द पी जाना चाहता हूँ।
तू देखे जिस ख़्वाब को ता उम्र
मैं वो ख़्वाब बन जाना चाहता हूँ।
मुझे समा लो तुम अपनी आँखों में
मैं अब वहाँ बस जाना चाहता हूँ।
जो ख़ुश्बू महकाती है तेरे बदन को
मैं वो खुशबू बन जाना चाहता हूँ।
तेरी जुबाँ से जो भी शब्द निकलें
मैं उनका हर्फ़ हो जाना चाहता हूँ।
तू बिछड़े अगर तो लड़ पडूँ ख़ुदा से
संग तेरे हर लम्हा जीना चाहता हूँ।
तू संग मेरे तो जन्नत की परवाह नहीं
तेरे संग लिपट के मर जाना चाहता हूँ।
गर मिला ख़ुदा तो यही कहूँगा उसे
मैं हर जनम में तुझे पाना चाहता हूँ।
आरज़ू-ए-अर्जुन
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