बह्र -1222 1222 122
(चंद अशआर )
अभी रोको न साक़ी पीने दो जाम
अभी तलक वो दिख रहा है मुझे
हर कोशिश करके देख ली है मैंने
इतनी गुज़ारिश है के भुला दे उसे
कभी टूटा है शीशाये दिल मेरा
कभी रूह ज़िस्म से जुदा हुई
जबसे छोड़ा है दामन उसने
फिर न शाम ढली न सुबह हुई
अदा तो किए रस्में उल्फ़त हमने
पर भूल गए थे हम अदाकारी को
उसके झूठे अश्कों ने जीता आलम
और रौंद डाला मेरी वफ़ादारी को
नहीं काबिल था तेरे प्यार के मैं
तो क्यों खेलती रही जज़्बातों से
दिल बहलाने के लिए तो आरज़ू
और भी हसीं बहाने थे दुनिया में
आरज़ू
(चंद अशआर )
अभी रोको न साक़ी पीने दो जाम
अभी तलक वो दिख रहा है मुझे
हर कोशिश करके देख ली है मैंने
इतनी गुज़ारिश है के भुला दे उसे
कभी टूटा है शीशाये दिल मेरा
कभी रूह ज़िस्म से जुदा हुई
जबसे छोड़ा है दामन उसने
फिर न शाम ढली न सुबह हुई
अदा तो किए रस्में उल्फ़त हमने
पर भूल गए थे हम अदाकारी को
उसके झूठे अश्कों ने जीता आलम
और रौंद डाला मेरी वफ़ादारी को
नहीं काबिल था तेरे प्यार के मैं
तो क्यों खेलती रही जज़्बातों से
दिल बहलाने के लिए तो आरज़ू
और भी हसीं बहाने थे दुनिया में
आरज़ू
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