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Roshni me bandh kar vo bechte hain tirgi.. Ghazal

आदाब

खुद को कहता है ख़ुदा अब इस कदर मग़रूर है
आदमी  तो   आज  दौलत,  के  नशे   में  चूर  है

क्या  है  किस्मत में  तेरी तू क्यों  खुदा से पूछता
लो  मज़ा अंजान  बन  के,  कुछ  भी हो  मंज़ूर है

रौशनी   में   बाँध   कर   वो   बेचते   हैं   तीरगी
इल्म  के  अन्धे  ख़रीदे  कह  के  यह  मशहूर  है

वो  सिखाते हैं  हमें जिससे,  ख़लीफ़ा  हम  बनें
पर  सिखाते  वो  नहीं  जिसमें  छिपा वो  नूर है

आइना यह  कह रहा तू क्यों  भटकता  है इधर
ढ़ूँढता  तू   क्यों   नहीं   तुझमें   भी  कोहेनूर  है

आज  इंसाँ  चाँद  पे,  मंगल  पे भी  है  जा  रहा
खोजता  है  वो  खुदा  को  पर  खुदी  से  दूर है

क्यों  सफ़र  से  डर  रहे  हो  देखकर  पेचीदगी
ज़िंदगी  का  खेल  सीखो  हर  मज़ा  भरपूर  है

आरज़ू ' यह हर बशर से कह रहा है सीख कर
रास्ते   सीधे  न   लो,   वो   मंज़िलों  से  दूर   है

आरज़ू -ए-अर्जुन

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Aaj ke yoga divas par meri ye rachna..          चलो योग करें एक  काम सभी  हम रोज़ करें योग   करें   चलो   योग   करें भारत  की  पहचान   है   यह वेद-पुराण  का  ग्यान  है  यह स्वस्थ   विश्व   कल्याण   हेतु जन जन का अभियान है यह सीखें    और     प्रयोग    करें योग   करें   चलो   योग   करें मन  को निर्मल  करता  है यह तन को  कोमल  करता है यह है  यह  उन्नति  का  मार्ग  भी सबको  चंचल  करता  है  यह बस  इसका  सद  उपयोग करें योग   करें   चलो    योग   करें पश्चिम   ने   अपनाया   इसको सबने   गले   लगाया    इसको रोग  दोष   से  पीड़ित  थे  जो राम  बाण  सा  बताया  इसको सादा    जीवन   उपभोग   करें योग   करे...

DIL TUMHARA JAB CHURAYA JAYEGA.. GHAZAL

आदाब दिल तुम्हारा जब चुराया जाएगा दोष तुमपर ही लगाया जाएगा इस मुहब्बत में फ़क़त पहले पहल तुमको पलकों पर बिठाया जाएगा तोल लेना पर को तुम अपने यहाँ तुमको ऊँचा भी उड़ाया जाएगा उड़ना लेकिन छोड़ मत देना ज़मीं तुमको नीचे भी गिराया जाएगा झांकना मत आंखों में वो फ़र्ज़ी है ख़ाब झूठा ही दिखाया जाएगा बढ़ रहे आहिस्ता से तुम मौत को यह नहीं तुमको बताया जाएगा है मुहब्बत खूबसूरत सी बला जाल में इसके फंसाया जाएगा प्यार में वादा करो पर सोच कर देखना, तुमसे निभाया जाएगा यह नहीं कहता मुहब्बत मत करो टूट कर क्या तुमसे चाहा जाएगा जो मुहब्बत पाक सी है 'आरज़ू' उसके आगे सर झुकाया जाएगा आरज़ू-ए-अर्जुन

" न रुकना कभी न थकना कभी "

" न रुकना कभी न थकना कभी " इस जहाँ में कौन नहीं, जो परेशान है  है कोई ऐसा, जिसकी राहें आसान है किसी को कम तो किसी को ज्यादा सहना पड़ता है ज़िंदगी जो दे, जैसे रखे, रहना पड़ता है है कदम ज़िंदा तो राहों का निर्माण कर है बाज़ुओं में दम तो मुश्किलों को आसान कर है हौंसला, तो एक लम्बी उड़ान कर है नज़र तो सच की पहचान कर मत सुना ज़िंदगी को मैं थक गया हूँ राह में और बोझिल लगेगी ये  ज़िंदगी इस राह में मत सूखने दे ये पानी अपनी ख्वाबमयी आँखों में सजा तू तमाम सपने जो छुप गए है कहीं रातों में जब रूठ जाए ये चाँद,सितारे और सूरज भी तुमसे मत होना अधीर और एक वादा करना खुद से तू रुक गया तो इन्सां नहीं तू झुक गया तो इन्सां नहीं न थकना कभी न रुकना कभी, कर खुद से बातें पर चुप रह न कभी क्या पता अगले मोड़ पे मंजिल खड़ी हो किसे खबर तेरे क़दमों तले खुशियां पड़ी हों कर नज़र ज़बर और सबर को मज़बूत तुम किसे पता कल तेरे आगे दुनिया झुकी हो . (आरज़ू ) AARZOO-E-ARJUN