आदाब
लोगों के दिल में पाक मुहब्बत नहीं रही
आलूदगी है आज वो ग़ैरत नहीं रही
करते हैं वार पीठ पे, उल्फत में भी यहाँ
अब दुश्मनी में साफ़, अदावत नहीं रही
आंखों की मयकशी थी,अदाओं में था नशा
अब हुस्न की अदा में शरारत नहीं रही
दामन बचा बचा के निकलती हैं खौफ़ में
औरत की अब गली में हिफाज़त नहीं रही
महकी सी थी ख़िजा़ भी मेरे देश की कभी
ज़हरीली अब सबा है वो राहत नहीं रही
टुकडों में बट रहा है मेरा देश अब यहाँ
वो सऱफरोश वाली रवाय़त नहीं रही
हर रास्ता कठिन है कहें ज़र्फ लोग ये
उन रास्तों पे चलने की, हिम्मत नही रही
आये हो 'आरज़ू ' को बताने यही न तुम
के आज से तुम्हारी, ज़रूरत नहीं रही
आरज़ू -ए-अर्जुन
लोगों के दिल में पाक मुहब्बत नहीं रही
आलूदगी है आज वो ग़ैरत नहीं रही
करते हैं वार पीठ पे, उल्फत में भी यहाँ
अब दुश्मनी में साफ़, अदावत नहीं रही
आंखों की मयकशी थी,अदाओं में था नशा
अब हुस्न की अदा में शरारत नहीं रही
दामन बचा बचा के निकलती हैं खौफ़ में
औरत की अब गली में हिफाज़त नहीं रही
महकी सी थी ख़िजा़ भी मेरे देश की कभी
ज़हरीली अब सबा है वो राहत नहीं रही
टुकडों में बट रहा है मेरा देश अब यहाँ
वो सऱफरोश वाली रवाय़त नहीं रही
हर रास्ता कठिन है कहें ज़र्फ लोग ये
उन रास्तों पे चलने की, हिम्मत नही रही
आये हो 'आरज़ू ' को बताने यही न तुम
के आज से तुम्हारी, ज़रूरत नहीं रही
आरज़ू -ए-अर्जुन
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