आदाब
122*4
हमेशा... तुम्हारा ! हमारा .कहाँ है ?
बताओ न रिश्ता वो प्यारा कहाँ है
है आंसू ही आंसू मुहब्बत में यारो
मगर इस के बिन भी गुज़ारा कहाँ है
चले आते चौखट पे तेरी सितमगर
मगर दिल से तुमने पुकारा कहाँ है
ज़माने की हर शय को देखा है हमने
तेरे हुस्न सा पर नज़ारा कहाँ है
हकीकत में मझधार ही ज़िंदगी है
सफ़ीने को मिलता किनारा कहाँ है
जो माझी डुबोने लगे नाव को तो
बता डूबते को सहारा कहाँ है
लगाते हैं जो दिल यहाँ तीरगी से
उसे रौशनी का इशारा कहाँ है
मैं हूँ आरज़ू अब ज़माने की खातिर
वो नादान अर्जुन तुम्हारा कहाँ है
आरज़ू -ए-अर्जुन
122*4
हमेशा... तुम्हारा ! हमारा .कहाँ है ?
बताओ न रिश्ता वो प्यारा कहाँ है
है आंसू ही आंसू मुहब्बत में यारो
मगर इस के बिन भी गुज़ारा कहाँ है
चले आते चौखट पे तेरी सितमगर
मगर दिल से तुमने पुकारा कहाँ है
ज़माने की हर शय को देखा है हमने
तेरे हुस्न सा पर नज़ारा कहाँ है
हकीकत में मझधार ही ज़िंदगी है
सफ़ीने को मिलता किनारा कहाँ है
जो माझी डुबोने लगे नाव को तो
बता डूबते को सहारा कहाँ है
लगाते हैं जो दिल यहाँ तीरगी से
उसे रौशनी का इशारा कहाँ है
मैं हूँ आरज़ू अब ज़माने की खातिर
वो नादान अर्जुन तुम्हारा कहाँ है
आरज़ू -ए-अर्जुन
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