चंद अशआर आरज़ू की कलम से ---------------------------------------- अभी ज़िंदा हो तो जीना जरूरी है ज़िंदगी जो भी दे पीना जरूरी है कब तक शिकवा करोगे खुदा से आरज़ू सीने के जख्म को खुद ही सीना जरूरी है ----------------------------------------- खूब जी रहा हूँ इस ज़िंदगी का साथ पाकर है मुझी से अब तक लड़ रही ये जिन्दगी ----------------------------------------- कहाँ पर सीख रहा हूँ लहरों से लड़ने का हुनर टूटी कश्ती संग बीच मझधार फसी है ये ज़िंदगी ------------------------------------------ है साज़ भी राग भी दर्द भी आवाज़ भी ये ज़िंदगी हररोज़ गीत नया गाती रही ------------------------------------------ मैं किस्मत को हराने की धुन में लगा रहा और किस्मत मुझे देख कर मुस्कुराती रही ------------------------------------------- हमने तो अपनी रूह भी सौंप दी थी तुम्हें बस एक तू था जो कभी मेरा हो न सका ------------------------------------------- किस्मत तो मेरी मेरे हाथों में ही छुपी थी मैं खामखा ताउम्र लकीरों में उलझा रहा ----------------...
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