( नज़म )
बड़ी दिलकश ज़िंदगी की हर एक अदा है
रंगीं इस दुनियां का हर रंग जुदा जुदा है
ठहराव है कहीं पे कहीं पे एक सफर है
अंधियारा है कहीं पे कहीं मीठी एक सहर है
मंजिल से लड़ता कोई तो कोई गिर पड़ा है
बड़ी दिलकश ज़िंदगी की हर एक अदा है
राहों में होंगे फूल या काँटों का रास्ता है
मंजिल नहीं करीब मीलों का फासला है
अपना लो जो मिले आज कल का क्या पता है
बड़ी दिलकश ज़िंदगी की हर एक अदा है
कल कौन रह सकेगा यह कौन जानता है
यह ज़िंदगी उसी की जो जीने में मानता है
हारेगा हर वो इन्सां जो जीने से डर गया है
बड़ी दिलकश ज़िंदगी की हर एक अदा है
आये हो दुनिया में तो ए बन्दे प्यार कर ले
जी के देख ज़रा तू इसमें ज़रा सा मर ले
है प्यार की यह दुनिया मोहब्बत ही खुदा है
बड़ी दिलकश ज़िंदगी की हर एक अदा है
आरज़ू-ए-अर्जुन
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